बिहार का सबसे बड़ा महापर्व छठ महज कुछ ही दिन शेष बचे हैं. लेकिन छठ की छठा छाने लगी है. इस पर्व में बाहर में भी रहने वाले लोग बिहार जरूर पहुंचते हैं. इसे लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है. आपको बता दें, इस पर्व की शुरुआत अंग प्रदेश से हुई थी. कभी अंग प्रदेश में भागलपुर समेत आसपास के कई जिले आते थे. जब इसको लेकर साहित्यकार आलोक कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पहले अंग प्रदेश में भागलपुर, मुंगेर, बांका, पूर्णिया समेत कई जिले आते थे. इन सबको मिलाकर इसे अंग प्रदेश कहा जाता है.
कई लोगों का यह मानना है कि इस पर्व की शुरुआत भागलपुर से हुई थी. कई लोगों का कहना है कि मुंगेर से शुरू हुई थी. लेकिन पहले यह सभी एक हुआ करता था. इसलिए यह पर्व अंग प्रदेश से इस पर्व की शुरुआत हुई थी. कभी अंग क्षेत्र में एक राजा राजव्रत हुआ करता था. उसकी पत्नी मालिनी ने सबसे पहले छठ की थी. इसी के वजह से चंपा का नाम मालिनी भी है. उसके बाद यह पर्व मां सीता ने की थी. उन्होंने बताया कि इसे बाद कुंती ने की थी.
दानवीर कर्ण भगवान भास्कर के थे उपासक
आलोक ने बताया कि कर्ण भगवान भास्कर के उपासक थे. उनकी पूजा प्रति दिन कर्ण किया करते थे. इस पर्व को प्रकृति का पर्व भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस पर्व में सभी चीजें प्रकृति से जुड़ी चीजें ही चढ़ाई जाती है. ऐसा कहा जाता है कि कभी मालिनी को पुत्र नहीं हुआ करता था. लेकिन जब उन्होंने भगवान सूर्य से पुत्र को मांगा तो उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई और तभी से छठ की शुरुआत हुई थी. इस पर्व में शुद्धता का काफी खयाल रखा जाता है. महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं.