लोक आस्था के महापर्व छठ त्योहार में महज कुछ दिन शेष है. बिहार, उत्तर प्रदेश सहित दुनिया के जिस भी कोने में यहां के लोग रहते हैं. इस पर्व को पूरी आस्था के साथ मनाते हैं. ऐसे में हम बिहार के कुछ ऐसे सूर्य मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां केवल छठ पर सूर्य को डूबते और उगते समय ही अर्घ्य देने का विधान नहीं है, बल्कि इन मंदिरों में सूर्य को तीनों पहर अर्घ्य देने का विधान है. बिहार के गया में दिन के तीनों पहर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
यहां भगवान भास्कर को सुबह, दोपहर और शाम में अर्घ्य दिया जाता है. यहां के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान भास्कर ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेव के रूप में विराजते हैं. इसलिए यहां भगवान सूर्य को तीनों पहर अर्घ्य देने का विधान है.
भगवान सूर्य के तीन स्वरूपों की होती है पूजा
ब्राह्मणी घाट स्थित विरंचिनारायण सूर्य मंदिर के पुजारी आचार्य मनोज कुमार मिश्र बताते हैं कि गया में भगवान सूर्य के तीन स्वरूपों की पूजा होती है. इनमें जो प्रतिमाएं हैं, उसमें सूर्य की प्रातः कालिन, मध्यकालिन और सायंकालिन प्रतिमाएं प्रमुख हैं. मानपुर के सूर्य मंदिर में सूर्य की प्रातः कालीन प्रतिमा को अर्घ्य दिया जाता है. जहां भगवान आदित्य ब्रह्मा के रूप में विराजमान हैं.
इसके बाद यहीं ब्राह्मणी घाट पर विरंचिनारायण सूर्य मंदिर में भगवान भास्कर भगवान शंकर के रूप में विराजते हैं और इनको यहां मध्याह्न में अर्घ्य दिया जाता है. यहां भगवान सूर्य के संपूर्ण परिवार की प्रतिमा है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण सतयुग में गयासुर ने कराया था. इसके साथ ही विष्णुपद स्थित सूर्यकुंड के पास भगवान आदित्य विष्णु रूप में विराजते हैं. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह भगवान ब्रह्मा ने बनवाया था और यहां संध्या अर्घ्य का विधान है.
ब्राह्मणीघाट पर स्थित है भगवान भास्कर की अद्भुत प्रतिमा
शहर में विरंचिनारायण के नाम से सुविख्यात ब्राह्मणीघाट स्थित भगवान भास्कर की अद्भुत प्रतिमा स्थापित है. शालिग्राम पत्थर की यह प्रतिमा दर्शनीय के साथ-साथ साधनीय भी है. लगभग सात फीट की सांगोपांग सूर्य की मूर्ति अपने पूरे परिवार के साथ यहां अतिप्राचीन काल से विराजमान है.
भगवान सूर्य के दोनों पुत्रों शनि एवं यम के साथ ही सूर्यपत्नी संज्ञा, सारथी अरुण के साथ सात घोड़े एवं एक चक्के के रथ पर विराजमान हैं. मुख्य प्रतिमा के ऊपर दोनों ओर अंधकार को भगाने वाली दो देवी उषा एवं प्रत्युषा की भी प्रतिमा साथ में विराजमान हैं.