मां दुर्गा शक्ति का स्वरूप मानी जाती हैं. मां दुर्गा के मंदिर में लोग मन्नत मांगते हैं. कई तरह की चीजें इसमें भगवान को लोग चढ़ाते हैं. जिसमें सबसे अधिक लोग बलि मां दुर्गा को चढ़ाते हैं. लेकिन भागलपुर का एक ऐसा मंदिर है, जहां जानवर नहीं बल्कि फल व सब्जी की बलि चढ़ाई जाती है. इतना ही नहीं यहां देवी को मदिरा पान भी करवाया जाता है. इस मंदिर की स्थापना लगभग 100 साल पहले बेटी के जन्म पर हुई थी. उसी बेटी का नाम कल्याणी रखा गया था. उन्हीं के नाम पर मां कल्याणी दरबार इस मंदिर का नाम रखा गया है. यह मंदिर जिले के दक्षिणी क्षेत्र के मोहद्दीनगर में स्थित है.
बड़ी रोचक है कहानी
यहां प्रतिमा के स्थापना और पूजा पाठ की कहानी अपने आप में काफी रोचक है. इस मंदिर के समिति के अध्यक्ष राकेश रंजन केसरी ने बताया वर्षों पहले हमारे समाज में जमींदारी प्रथा चलती थी. मंदिर का पूरा इलाका जमींदार कमल धारी सिंह के अधीन था. लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद भी उन्हें कोई संतान नहीं होता था. उस समय किसी साधु ने बताया कि आप जगत जननी मां दुर्गा की आराधना करें.
उसके बाद मंदिर बनाकर उन्होंने पूजा अर्चना शुरू की. उसके बाद संतान की प्राप्ति हुई. इसमें उन्हें पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई. जिसका नाम उन्होंने कल्याणी रखा और उसी के नाम पर इस मंदिर का नाम भी मां कल्याणी दरबार रखा गया. इस मंदिर की सबसे अच्छी प्रथा है कि यहां कभी किसी भी जीव की बली नहीं दी जाती है. बली की जगह पर हम लोग प्राकृतिक फल और सब्जी पर सिंदूर लगाकर विधिवत पूजा अर्चना कर उसकी बलि देते हैं.
वहीं मां कल्याणी दरबार मोहद्दीनगर के सचिव प्रफुल्ल चंद्र सिंह ने बताया कि हम लोग शास्त्र के हिसाब से काम करते हैं और हमारा मानना है कि जो मां संतान देती है वह बलि कैसे ले सकती है. जब महाष्टमी को दुर्गा काली का रूप धारण कर आती है तो उन्हें भोजन के रूप में हम लोग बली भी देते हैं. मदिरा पान भी करवाते हैं, लेकिन यह बलि सब्जी और फल की होती है. मदिरा तांबे के बर्तन में नारियल पानी को 48 घंटे तक छोड़ने पर उसमें मदिरा का भाव अनुभव होता है. माता को उसी का पान करवाया जाता है. हमारा पूरा समाज जागरूक है और मां दुर्गा के कारण ही सुखी संपन्न है.
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