सनातन धर्म में मंदिर की महत्वता काफी पौराणिक है. भागलपुर में कई ऐसे मंदिर हैं जो वर्षों पुराना है, आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. भागलपुर के नवगछिया के भमरपुर में स्थापित सिद्धपीठ मणिद्वीप मां दुर्गा का मंदिर है. पर इनके ठीक सामने भैरव और भोलेनाथ का मंदिर है. इस मंदिर का इतिहास करीब 400 वर्ष पुराना है. मंदिर समिति के अध्यक्ष हिमांशु मिश्र ने बताया की मां दुर्गा ने ग्रामीण के स्वप्न में आकर मन्दिर स्थापित करने की बात कही थी. इसके बाद से यहां मन्दिर की स्थापना की गई.
भगवान शिव, भैरव व मां दुर्गा की आराधना होती है एक साथ
पूजा समिति के अध्यक्ष हिमांशु मिश्र ने बताया कि सबसे बड़ी बात है कि यह देश ऐसा पहला मंदिर है जिसके सामने भगवान शिव व भैरव जी का मंदिर है. ये अपने आप में खास हो जाता है. भगवान शिव, भैरव व मां दुर्गा की आराधना एक साथ हो जाती है. यहां आने से सभी मुरादें पूर्ण होती है. दुर्गा पूजा में 12 घंटे तक गांव के लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं. वेदी पर सीमेंट से प्रतिमा बनी हुई है, जिसकी पूजा प्रतिदिन होती है. वहीं दुर्गापूजा में षष्टी पूजा को प्रतिमा स्थापित की जाती है.
तांत्रिक विधि विधान से होती है पूजा अर्चना, पड़ती है बलि
तांत्रिक विधि विधान से पूजा अर्चना होती है. नवमी पूजा को भैंसे की बलि दी जाती है. इसके बाद करीब तीन हजार छागर की बलि दी जाती है. दसवीं को मन्दिर के पास बने तालाब में मां दुर्गे की जयघोष के साथ प्रतिमा विसर्जित की जाती है. भागलपुर समेत आसपास के कई जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
दक्षिण भारत के मंदिर के तर्ज पर बना है भव्य मंदिर
2019 से यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. दक्षिण भारत के मंदिर के तर्ज पर भव्य मंदिर और गुम्बज बनाया गया है. इस पर 90 किलो का पताका स्थापित है. वृंदावन के शिल्पकार ने इसे डिजाइन किया है. ग्रामीण चंदा इक्कठा कर गुम्बज का निर्माण करवा रहे है. वहीं उन्होंने बताया कि मन्दिर में लगने वाले ग्रेनाइट पत्थर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ मुद्रित किया जाएगा.
बिहार में यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. जो भी यहां सच्चे मन से पहुंचते है, उनकी मनोकामना पूरी होती है. मन्दिर की भव्यता प्रतिमा की खूबसूरती देखते बनती है. यहां लोग देश के अलग अलग कोने से बलि देने पहुंचते हैं