यहां बनते हैं उबले आलू को फ्राई कर गजब के पकौड़े, स्वाद ऐसा कि दुकान खोलते ही उमड़ पड़ती है भीड़

जानकारी

कचरी, आलू चॉप और पकौड़ी तो आपने बहुत खाया होगा. पर आलू का पकोड़ा खाया है. अगर नहीं तो आपको समस्तीपुर में यहां आना होगा. जिले में राजेश के आलू के पकौड़े  को इन दिनों काफी लोग पसंद कर रहें हैं. ग्राहक इनके आलू के पकोड़ा का स्वाद चखने के लिए दोपहर बाद 3:00 बजे इंतजार करते रहते हैं. दुकान खोलने के बाद ग्राहक की भीड़ जुट जाती है. उनका कोई बड़ा होटल नहीं बल्कि एक छोटा सा ठेला है. जटमलपुर हायाघाट मुख्य मार्ग के पंचवटी चौक पर दोपहर बाद 3:00 बजे से लेकर शाम के 7:00 बजे तक दुकान चलाते हैं. इस बीच ग्राहकों की भीड़ इनकी दुकान पर लगी रहती है.

मजदूरी से नहीं भरा पेट तो शुरू किया यह काम

राजेश ने बताया कि परिवार की जिम्मेदारी बढ़ाने के बाद हम प्रदेश चले गए. जहां मजदूरी करते थे, परंतु हमें जितनी मजदूरी प्रदेश में मिलती थी उससे मेरा परिवार सही से नहीं चल पा रहा था. परंतु जब हम गांव आए तो हमारे परिवार के लोगों ने सुझाव दिया कि यही कोई काम करें. जिसके बाद हमने गांव में मजदूरी कर एक ठेला लिया. फिर ठेले पर आलू का पकोड़ा बनाने लगे. शुरुआती दौर में ग्राहक बहुत कम आता था. परंतु धीरे-धीरे ग्राहक हमारे पकोड़े का स्वाद देख बढ़ने लगे. एक आलू का पकोड़ा 5 रुपए का है. पकौड़ा कितना बनता है इसकी अंदाजा राजेश को भी नहीं लग पाता है.

 

इस तरह बनता है पकोड़ा

राजेश ने बातचीत के दौरान बताया कि हम आलू का पकोड़ा बनाने में जो भी सामग्री का उपयोग करते हैं, वह सभी अच्छी क्वालिटी का होता है. जिससे लोगों को किसी भी तरह के नुकसान ना हो. पकोड़े में सबसे पहले हम आलू को उबाल कर उसको सरसों तेल में फ्राई करते हैं, जिसमे कई प्रकार के मसाला डालते हैं, फिर शुद्ध चने के बेसन का पेस्ट तैयार करते हैं. उसके बाद फ्राई वाले आलू का छोटा-छोटा टिक्की बनाते है. फिर आलू की टिक्की को बेसन के पेस्ट में लगाकर उसे तेल में फ्राई करते हैं. जब तक पकोड़ा लाल ना हो जाए तब तक उसे पकाने देते हैं. यही हमारे बनाने का तरीका है. अन्य प्रकार का मसाला डालते हैं, जिससे हमारा पकोड़ा टेस्टी होता है. जिसके कारण लोग इसको काफी पसंद करते हैं.

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