आदरणीय नीतीश कुमार जी,
आप बिहार के मुख्यमंत्री हैं, तो हमारे भी मुख्यमंत्री हैं, इस नाते आपका सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे पता है कि बंद चिट्ठियां आपके पते पर पहुंचती नहीं हैं, इसलिए खुला पत्र लिख रहा हूं, ताकि सनद रहे।
मुद्दा हमारे बच्चों के भविष्य का है, जिसे पिछले 12 साल में आपने क्रमशः बर्बाद कर दिया है। आज जिन बच्चों का 12वीं का रिजल्ट आया है, वे उसी साल पहली कक्षा में दाखिल हुए थे, जिस साल आप पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। यानी 2005 में, सोचिए, एक तरफ आप बिहार के मुख्यमंत्री बने, दूसरी तरफ इन बच्चों के मां-बापों की आंखों में इनके भविष्य को लेकर सपने पैदा हुए। जैसे-जैसे आपके मुख्यमंत्रित्व का एक-एक साल बीतता गया, ये बच्चे एक-एक क्लास बढ़ते रहे. आज आपको मुख्यमंत्री बने 12 साल हुए हैं और इन बच्चों ने 12वीं का इम्तिहान दिया है।
इसीलिए, जब लोग कह रहे हैं कि 12वी के इम्तिहान में बिहार के दो तिहाई बच्चे फेल हो गए हैं, तो मुझे लगता है कि बच्चे नहीं, बल्कि स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फेल हुए हैं, और फेल होते कैसे नहीं, बिहार की शिक्षा का सत्यानाश करने में तो आप पहले दिन से ही जुट गए थे। देखिए, इन बारह सालों में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने में आपका योगदान कितना अहम रहा है-
1. आपने राज्य भर के स्कूलों में फर्जी मार्कशीट और सर्टिफिकेट वाले हजारों या लाखों अनपढ़ लोगों को शिक्षकों के रूप में नियोजित कर लिया। न कोई जांच, न कोई पड़ताल, न कोई इम्तिहान, न कोई इंटरव्यू! सिर्फ वोट-बैंक की राजनीति और पैसे का खुल्लमखुल्ला खेल। जनवरी फरवरी की स्पेलिंग तक नहीं जानने वाले लोग भी सरकारी स्कूलों में गुरूजी बन गए।
2. आपने राज्य के तमाम स्कूलों को विद्यालय नहीं, भोजनालय बना दिया। और भोजनालय भी ऐसा, जिसमें भोजन के नाम पर मरी हुई छिपकलियां, तिलचट्टे और कीड़े-मकोड़े खिलाये जाते रहे , राज्य के किसी भी ज़िले में शायद ही कोई स्कूल ऐसा रहा होगा, जहां आपका मिड-डे मील खाकर बच्चे कभी-न-कभी अस्पतालों में भर्ती नहीं हुए होंगे।