शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। ये एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके क्रोध से इंसान तो क्या देवता भी कांपते हैं। कहा जाता है कि जिस किसी पर भी शनिदेव की वक्र दृष्टि पड़ जाती है। उसके तो सभी बने बनाए काम बिगड़ जाते है। ऐसा नहीं है कि शनिदेव सिर्फ बुरे कर्मों का फल देते हैं। न्यायाधीश शनिदेव तो सच्चे और ईमानदार लोगों को भी उनके अच्छे कर्मों का फल देते हैं।

शनि व्रत का महत्व : मान्यता है कि जो भी जातक शनि से जुड़े दान और उनके मंत्रों का जाप करता है, उसे बढ़ते कर्ज से मुक्ति पाने में मदद मिलती है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है साथ ही बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है यहीं नहीं शनिदेव की पूजा से साढ़ेसाती के प्रकोप से भी निजात मिलती है।शनि ग्रहों के न्यायाधीश और दंडाधिकारी हैं। शनिदेव व्यक्ति को उसके शुभ अशुभ कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शनि देव बिना कारण के पीड़ा नहीं देते व्यक्ति के गलत कार्यों के फलस्वरूप ही उन्हे पीड़ा भोगनी पड़ती है। शनिदेव तो केवल पीड़ा देने के माध्यम बनते हैं।

शनिदेव को क्यों चढ़ाते हैं सरसों का तेल : मान्यता है कि एक बार महावीर हनुमान श्रीराम के किसी कार्य में व्यस्त थे। उस जगह से शनिदेव जी गुजर रहे थे। रास्ते में उन्हें हनुमानजी दिखाई पड़े। अपने स्वभाव की वजह से शनिदेव जी को शरारत सूझी और वे उस रामकार्य में विघ्न डालने हनुमान जी के पास पंहुच गए। हनुमानजी ने शनि देव को चेतावनी दी और उन्हें ऐसा करने से रोका पर शनिदेव नहीं माने। हनुमानजी ने तब शनिदेव जी को अपनी पूंछ से जकड़ लिया और फिर से राम कार्य करने लगे। कार्य के दौरान वे इधरउधर चहलकदमी भी कर रहे थे। अत: शनिदेवजी को बहुत सारी चोटें आई। शनिदेव ने बहुत प्रयास किया पर हनुमान जी की कैद से खुद को छुड़ा नहीं पाए। उन्होंने विनती की पर हनुमानजी अपने कार्य में खोये हुए थे। जब राम जी का कार्य ख़त्म हुआ तब उन्हें शनिदेवजी का ख्याल आया और तब उन्होंने शनिदेव को आजाद किया।

शनिदेव जी को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने हनुमानजी से माफ़ी मांगी कि वे कभी भी राम और हनुमान जी के कार्यों में कोई विघ्न नहीं डालेंगे और श्री राम और हनुमान जी के भक्तों को उनका विशेष आशीष प्राप्त होगा। शनिदेव जी ने भगवान श्री हनुमान से सरसों का तेल मांगा जिसे वह अपने घावों पर लगा सके और जल्द ही चोटों से उभर सकें। हनुमानजी ने उन्हें वो तेल उपलब्ध करवाया और इस तरह शनिदेव के जख्म ठीक हुए। तब शनिदेव जी ने कहा कि इस स्मृति में जो भी भक्त शनिवार के दिन मुझपर सरसों का तेल चढ़ाएगा उसे मेरा विशेष आशीष प्राप्त होगा।

Sources:-Live News