Patna: देश में मंगलवार, 2 नवंबर से दीपों का उत्सव शुरू हो गया है। दीपावली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है। भगवान धनवंतरी की पूजा के बाद आज यानि कि बुधवार को यम की पूजा की जाएगी। आज देशभर में छोटी दिवाली मनाई जा रही है। इसे छोटी दिवाली के अलावा नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी, रोप चौदस और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, आज के दिन भगवान यमराज की पूजा करने से दीर्घायु की प्राप्ति और स्वास्थ्य जैसी तमाम समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। ये भी कहा जाता है कि यम देव को दीपदान करने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है। वहीं बता दें कि छोटी दिवाली के दिन भगवान कृष्ण की भी पूजा का विधान है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है।
नरक चतुर्दशी से जुड़ी पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के मुताबकि, एक नरकासुर नाम का राक्षस था, जिसने अपनी शक्ति का गलत दुरुपयोग करके 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। इसके बाद सभी बंदी स्त्रियों ने राक्षस के अत्याचार से परेशान होकर मदद के लिए भगवान कृष्ण को पुकारा। उन्हें राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर दिया। नरकासुर के आंतक से बंदी स्त्रियों समेत तमाम देवताओं और संतों को भी छुटकारा मिल गया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इन सभी स्त्रियों को समाज में सम्मान और मान्यता दिलाने के लिए भगवान कृष्ण ने सभी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। वहीं नरकासुर के वध की खुशी में लोगों ने अपने घर में दीपक जलाए। बताया जाता है कि तभी से नरक चतुर्दशी अथवा छोटी दीवाली मनाया जाने लगा।
छोटी दिवाली शुभ मुहूर्त
3 नवंबर 2021- सुबह 09:02 बजे
4 नवंबर 2021- सुबह 06:03 बजे तक
छोटी दिवाली पूजा विधि-
छोटी दिवाली यानि की नरक चतुर्दशी के दिन भगवान यमराज के साथ कृष्ण की पूजा का विधान है। इसके अलावा मां काली और हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि आज के दिन पूजा करने से पूर्व के कर्मों से मुक्ति मिलती है। आज के दिन यम के नाम का दीपक दक्षिण दिशा में प्रज्वलित करें। पुराना दीपक ही जलाए अगर आपके पास ये नहीं है तो नया दीपक भी जला सकते हैं। घर के मुख्य द्वार, बाहर, चौराहे और खाली स्थान पर दीये रखें। वहीं छोटी दिवाली पर सरसों के तेल के दीये ही जलाएं।
दीपावली 2021
बता दें कि इस साल दीपावली का पर्व 4 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। इस शुभ दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। इसके अलावा भगवान राम की भी पूजा करने का विधान है। दरअसल, मान्यता है कि भगवान राम के वनवास से लौटने के बाद अयोध्यवासियों ने खुशी में दिये से पूरा शहर रौशन कर दिया था। तभी से दीवाली का त्यौहार मनाया जाने लगा।