पटना: ‘सच कहूं तो पापा आपका होना मेरे वजूद का होने जैसा था। दुनिया को लगता है मैं एक आत्मविश्वास से भरी लड़की हूं। पर ये किसी को नहीं पता कि मेरा आत्मविश्वास दरअसल आपका दिया हुआ भरोसा है। थैंक्यू पापा मुझे हौंसला देने के लिये।’
जब श्रेयसी ने अपने पापा की तस्वीर को मेडल दिखाया होगा और कहा होगा मिस यू पापा…तब ऐसे ही कुछ जज्बात इस बिटिया के मन में होंगे। दरअसल, कॉमनवेल्थ खेलों में भारत की बिटिया श्रेयसी सिंह गोल्ड मेडल लेकर आई, पापा को याद कर ट्विटर पर एक तस्वीर पोस्ट की। वाकई इस पापा के बिटिया की गर्व करनेवाली ये तस्वीर हमें भावुक कर गई।
कॉमनवेल्थ खेलों में भारत की बेटी श्रेयसी सिंह गोल्ड मेडल लेकर आई। श्रेयसी ने डबल ट्रैप स्पर्धा में यह पदक अपने नाम कर इतिहास रचा। वह पहली ऐसी महिला निशानेबाज बन गई, जिन्होंने डबल ट्रैप स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता।
पिता को ही अपना हीरो मानती हैं श्रेयसी
श्रेयसी अपने पिता को ही अपना हीरो मानती हैं। उनके पिता ने ही उन्हें निशानेबाजी में शुरुआती दिनों में प्रशिक्षण दिया। ऐसे में पिता और दादा के साथ प्रशिक्षण के बारे में उन्होंने कहा, ‘मैं बचपन से इस खेल में किसी न किसी तरह जुड़ी रही हूं, मेरे पिता और दादा दोनों एनआईएआई के अध्यक्ष थे। इसलिए, मैं हमेशा निशानेबाजी की प्रतियोगिताओं और निशानेबाजों से घिरी रहती थी।
अपने दादाजी, पापा के सपनों को पूरा कर रही हूं : श्रेयसी
श्रेयसी ने अपनी जीत के बाद कहा था, ‘मैं सिर्फ मेरे दादा जी और पिताजी की ओर से मेरे लिए देखे गए सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रही हूं और यहीं करती रहूंगी, वे चाहते थे कि मैं देश की श्रेष्ठ निशानेबाज बनूं और मैं इसी प्रयास में लगी हूं।’
अपनी जीत का श्रेय देने के बारे में श्रेयसी ने कहा, ‘मुझे मेरे परिवार, कोचों मानशेर सिंह और मार्सेलो ड्राडी से काफी समर्थन मिला, मैं इन सभी को अपनी जीत का श्रेय देना चाहूंगी।’
बिहार के पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह की बेटी हैं श्रेयसी
निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीतने वाली श्रेयसी सिंह, बिहार के जमुई की हैं। वह पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की बेटी हैं।
कॉमनवेल्थ खेलों की बैठक में गए थे लंदन, वहीं हुई थी मौत
तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा से सांसद रहे दिग्विजय सिंह केंद्र में कई सरकारों में मंत्री पद पर रहे थे। चंद्रशेखर के नेतृत्व में वर्ष 1991 में बनी सरकार में भी वे मंत्री रहे। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी राजग सरकार में वे विदेश राज्यमंत्री थे। इससे पहले समता पार्टी और बाद में जदयू के वरिष्ठ नेता जॉर्ज फर्नांडीस के बेहद करीबी रहे दिग्विजय सिंह का वर्ष 2010 में दिमाग की नस फटने के कारण लंदन में निधन हो गया था।
नीतीश कुमार से अनबन
साल 2010 में निधन से करीब एक साल पहले से नीतीश कुमार और उनके बीच सियासी तनातनी की खबरे आई। 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने जॉर्ज फर्नांडीस को मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट और दिग्विजय सिंह को बांका सीट से जदयू का टिकट देने से इनकार कर दिया। लेकिन जनता के प्रिय नेता रहे दिग्विजय ने हार नहीं मानी, और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बांका से जीत दर्ज की थी।
Source: etv bihar