देश में बाघों की संख्या में वृद्धि के बाद सरकार अब गैंडों के संरक्षण के लिए ‘राइनो टास्क फोर्स’ गठित करने की तैयारी में है. अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन पी.के गुप्ता के अनुसार मौजूदा समय में पश्चिम चंपारण जिला स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व यानी वीटीआर में एक और पटना के चिड़ियाघर में 14 गैंडे हैं. ऐसे में गैंडा संरक्षण योजना के दोबारा शुरू होने के बाद वीटीआर में गैंडों की संख्या में वृद्धि होने की पूरी संभावना है. खास बात है कि राष्ट्रीय गैंडा संरक्षण रणनीति के तहत संभावित स्थलों में से एक के रूप में वीटीआर को चुना गया है, जहां देश के अन्य अभयारण्य से गैंडे लाकर रखे जा सकते हैं.
पी.के गुप्ता के अनुसार वीटीआर में आवास एवं सुरक्षा स्थितियों का आकलन करने और वहां गैंडों को फिर से लाने के उपाय सुझाने के लिए लगभग दो साल पहले एक समिति गठित की गई थी. समिति ने हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग (डीईएफसीसी) को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. बता दें कि, अब राज्य सरकार वीटीआर में गैंडों के संरक्षण के उपाय सुझाने के लिए एक ‘राइनो टास्क फोर्स’ गठित करने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा कि टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर वीटीआर में गैंडा संरक्षण योजना को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया शुरू होगी.
बढ़ाई जाएगी गैंडों की संख्या
बकौल अधिकारी, अगले दो वर्षों में वीटीआर में गैंडा बाहुल्य क्षेत्रों को पांच प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. पूरी दुनिया में एक सींग वाले गैंडों की लगभग 75 प्रतिशत आबादी भारत में है. इनमें से 93 फीसदी से अधिक गैंडे अकेले असम के संरक्षित क्षेत्र-काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाते हैं. योजना के अनुसार गैंडों को भीड़-भाड़ वाले आवासों से बाहर निकाला जाएगा और वीटीआर में चिन्हित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाएगा. सीधे तौर पर कहा जाए तो इस योजना का उद्देश्य गैंडों को प्रजनन और अपनी संख्या बढ़ाने के लिए अधिक जगह प्रदान करना है.
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