प्रत्येक वर्ष वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना की जाती है. लेकिन इस गणना के बाद बाघों की संख्या सार्वजनिक नहीं की जाती. इस बार भी इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है और प्रति वर्ष के रुटीन के मुताबिक वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बरसात खत्म होते ही गणना करने का काम शुरू कर दिया जाएगा. इसके लिए 500 कैमरा लगाए जाएंगे. वीटीआर के क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय ने बताया कि प्रत्येक चार वर्ष पर गणना को सार्वजनिक किया जाता है. बाघों की गणना की जानकारी 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस पर सार्वजनिक की जाएगी.
वीटीआर में वर्ष 2006 से बाघों की गणना हो रही है. पहले पग मार्क से गणना होती थी. अब कैमरा ट्रैप लगाए जा रहे हैं. इस विधि से गणना में वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल रही है. ट्रैप कैमरा में जितनी भी तस्वीर आएंगी उन्हें प्रत्येक सप्ताह निकालकर देखा जाता है. इससे बाघों की संख्या की जानकारी मिलती है. वीटीआर प्रशासन के अनुसार प्रत्येक बाघ के लिए नंबर निर्धारित है. इसमें यदि बिना नंबर का कोई शावक कैमरा के सामने आता है तो यह साबित होता है कि नए बाघ दिख रहे हैं. इस आधार पर संख्या का पता लगाया जाता है.
हेमकांत राय ने बताया कि प्रत्येक वर्ष होने वाली बाघों की गणना के लिए तैयारी पूरी कर ली गई है. बरसात खत्म होते ही कैमरा लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा. बाघों की संख्या को लेकर एनटीसीए ने 20 मई तक रिपोर्ट मांगी थी, इसे भेज दिया गया है. हालांकि अब तक टीम नहीं है आई है, लेकिन हमारा जो काम था हम लोगों ने कर दिया है.
बाघ को शिकार करने के लिए शाकाहारी जानवरों की आवश्यकता होती है. जिस वन क्षेत्र में शाकाहारी जानवर ज्यादा रहते हैं वहां बाघों की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है. वीटीआर में बाघों के लिए शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ाने के लगातार प्रयास हो रहे हैं. इसके लिए ग्रास लैंड बनाया गया है. पांच वर्ष पूर्व यह करीब 800 हेक्टेयर में था, जो बढ़कर 1200 हेक्टेयर से ऊपर हो गया है. पानी के लिए जगह-जगह वाटर होल बनाए गए हैं. इससे शाकाहारी जानवरों को भोजन-पानी आसानी से मिल रहा है. यही कारण है कि चार वर्ष में चितल, सांभर, नीलगाय व जंगली सूअर की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है.