लोग अक्सर कहते हैं की व्हील चेयर पर बैठने को मजबूर आदमी क्या कर सकता है ? शारीरिक रूप से बाधित पर कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाले लोग बोल कर नहीं बल्कि कुछ कर के दुनिया को इन सब सवालों का जवाब देते रहे हैं।
ऐसा ही कुछ किया है बिहार के बेगूसराय के रहने वाले स्वर्गीय योगेंद्र प्रसाद और आशा कुमारी के पुत्र Dr.Amit Kumar ने।
पापा की मृत्यु जब वह 6 साल के तब हो गई थी फिर मेडिकल की पढाई के दौरान एक हादसे के बाद चल नहीं सकते हैं| पर वो हिम्मत नहीं हारे और बदलते हालत के साथ अपने आपको ढाला और सफलता हासिल की।
विगत वर्ष में 981 रैंक के साथ सफलता हासिल करने एवं चिकित्सा बोर्ड के द्वारा गैरतकनीकी सेवाओं क लिए फिट घोषित किये जाने के बावजूद अभी तक इन्हें कोई सेवा आवंटित नहीं की गयी गई।
सम्बंधित विभाग द्वारा इन्हें दूरभाष द्वारा सूचित किया गया है की सेवा आवंटन विचाराधीन है। इन्होने हिम्मत न हारते हुए फिर से तयारी की और इस वर्ष 573 रैंक हासिल किया।
ज्ञात हो की 2004 में जब ये किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ में एमएमबीस के द्वितीय वर्ष के छात्र थे तभी एक भीषण दुर्घटना में इनकी स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने के कारण इन्हे अपनी ज़िन्दगी के गोल्स को रिसेट करना पड़ा।
हिम्मत न हारते हुए इन्होने न सिर्फ अपनी MBBS की पढाई पूरी की बल्कि पिछले करीब 8 सालों से बिहार चिकित्सा सेवा में चिकित्सा पदाधिकारी के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं।