पटना: कैमूर के मां मुंडेश्वरी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित पंचमुखी शिवलिंग अपने आप में अनोखा है। शिवलिंग के बारे में कहा जाता है यह सुबह, दोपहर और शाम तीन बार अपना रंग बदलता है। श्रद्धालुओं का इस पंचमुखी शिवलिंग में बड़ी आस्था है। पूरे सावन महीने में पंचमुखी शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। सावन की सोमवारी पर तो नजारा ही कुछ और होता है। भारी भीड़ उमड़ती है शिव के जलाभिषेक को। सावन की सोमवारी को मंदिर के पुजारी द्वारा भगवान भोलेनाथ के पंचमुखी शिवलिंग को सुबह में श्रृंगार करके रुद्राभिषेक किया जाता है।
मां मुंडेश्वरी धाम देश के प्राचीनतम शक्तिपीठों में से एक है। मां मुंडेश्वरी का मंदिर भगवानपुर अंचल के पवरा पहाड़ी पर 608 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह प्राचीन मंदिर पुरातात्विक धरोहर ही नहीं, पर्यटन का जीवंत केंद्र भी है। मां मुंडेश्वरी मंदिर में बलि की अनूठी प्रथा है। यहां पर मंत्र से बकरे की बलि दी जाती है। मंदिर के पुजारी उस बकरे को मां के सामने खड़ा कर देते हैं। पुजारी मां के चरणों में अक्षत चढ़ा उसे पशु पर फेंकते हैं, तो पशु बेहोश हो जाता है। तब मान ली जाती है कि बलि की प्रक्रिया पूरी हो गयी। इसके बाद उसे छोड़ दिया जाता है।
मां मुंडेश्वरी मंदिर में भगवान शिव का एक पंचमुखी शिवलिंग है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका रंग सुबह, दोपहर व शाम को अलग-अलग दिखाई देता है। वर्षों बाद मुंडेश्वरी मंदिर में ‘तांडुलम भोग’ अर्थात ‘चावल का भोग’ और वितरण की परंपरा पुन: की गयी है। ऐसा माना जाता है कि 108 ईस्वी में यहां यह परंपरा जारी थी। मंदिर का अष्टाकार गर्भगृह इसके निर्माण से अब तक कायम है।मां मुंडेश्वरी मंदिर में पूरे वर्ष श्रद्धालु आते रहते है। सावन, नवरात्र, नववर्ष, शिवरात्रि, रामनवमी के मौके पर श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है। यहां पर नवरात्र में मेला भी लगता है।
Source: Live Bihar