रविवार यानी 11 जून को पैंतीस वर्षो बाद पुल के क्षेत्र में बिहार एक नया इतिहास रचेगा। मई 1982 में उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने के लिए महात्मा गांधी सेतु का उद्घाटन हुआ था।
इसके पहले 1959 में मोकामा स्थित राजेंद्र सेतु खुला था। इन दो विकल्पों के अलावा उत्तर बिहार से दक्षिण बिहार को जोड़ने के और कोई साधन नहीं थे। पैंतीस वर्षो के बाद ग्यारह जून को एक साथ दो पुल का उद्घाटन होगा जो उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने को नई लाइफ लाइन के रूप में हैं। दीघा-सोनपुर सड़क पुल और आरा-छपरा पुल गांधी सेतु के दो बड़े विकल्प के रूप में हैं।
सरकार ने दीघा-सोनपुर सड़क पुल का नाम लोकनायक जयप्रकाश नारायण सेतु और आरा-छपरा पुल का नाम वीरकुंवर सिंह सेतु के रूप में अधिसूचित कर दिया है। उद्घाटन से पूर्व सज-धज कर तैयार दीघा-सोनपुर पुल। इन दोनों पुलों का उद्घाटन आधारभूत संरचना के क्षेत्र में बिहार की बड़ी उपलब्धि है। यह पूरे बिहार के लोगों के लिए बड़ा उपहार है।
गांधी सेतु के विकल्प के रूप में तैयार हो रही नई लाइफ लाइन
नार्थ बिहार की लाइफ लाइन माने जाने वाले गांधी सेतु के जीर्णोद्धार की वजह से इसके बड़े हिस्से में वन वे ट्रैफिक की व्यवस्था की गई है। इस वजह से गांधी सेतु पर प्रतिदिन लोगों को भीषण जाम की समस्या झेलनी पड़ रही है। 11 जून से पहलेजा-दीघा सड़क पुल को नई लाइफ लाइन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
नार्थ बिहार की लाइफ लाइन माने जाने वाले गांधी सेतु के जीर्णोद्धार की वजह से इसके बड़े हिस्से में वन वे ट्रैफिक की व्यवस्था की गई है। इस वजह से गांधी सेतु पर प्रतिदिन लोगों को भीषण जाम की समस्या झेलनी पड़ रही है। 11 जून से पहलेजा-दीघा सड़क पुल को नई लाइफ लाइन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
इस पुल के चालू हो जाने से गांधी सेतु पर लोगों को भीषण जाम से निजात मिलेगी। इस पुल को एनएच 19 से जोड़ने वाले छह किलोमीटर लंबे एप्रोच रोड का निर्माण कार्य लगभग अंतिम चरण में हैं। सड़क की ढलाई में दिन-रात मजदूर लगे हुए हैं।