UPSC के 2017 के रिजल्ट में सफल छात्रों की लिस्ट में एक नाम बिहार के नवादा जिले के Niranjan Kumar का भी है।
UPSC की परीक्षा पास करने वाले Niranjan स्कूल की पढ़ाई के दौरान पिता की खैनी (तम्बाकू) की दुकान पर बैठते थे। पिता अरविंद कुमार जब भी दुकान से बाहर जाते निरंजन खैनी बेचते थे। नवादा जिले के पकरी बरावन गांव के अरविंद खैनी की दुकान से बमुश्किल 5 हजार रुपए प्रति माह कमा पाते थे।
इतने कम पैसे से परिवार चलाना और बच्चों को पढ़ाना आसान न था, लेकिन Niranjan ने कभी गरीबी को अपनी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया। अरविंद के पिता के पास तीन बेटों और एक बेटी की पढ़ाई के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे।
निरंजन बचपन से ही पढ़ने में अच्छे थे, लेकिन घर की हालत देख सोचते थे कि आगे पढ़ने के लिए पैसे कहां से आएंगे।
इसी बीच निरंजन को पता चला कि जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ाई अच्छी होती है और पैसे भी नहीं लगते।
Niranjan को उम्मीद की एक किरण दिखी और उन्होंने एडमिशन के लिए फॉर्म भर दिया। वह इंट्रेंस टेस्ट में सफल हुए। 2004 में नवोदय विद्यालय से मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद निरंजन इंटर की पढ़ाई के लिए पटना आ गए।
पटना में रहने का इंतजाम तो एक रिश्तेदार के पास हो गया, लेकिन खाने और पढ़ने के लिए पैसे नहीं थे। इंटर की दो साल की पढ़ाई के लिए 1200 रुपए ट्यूशन फीस भरने के लिए भी निरंजन के पास पैसे न थे। पैसों के इंतजाम के लिए उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया।
वह सुबह-शाम बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते और खुद दिन में 8-10 km पैदल चलकर कोचिंग क्लास जाते। उसके पास ऑटो का किराया देने के लिए पैसे नहीं होते थे। डेढ़ साल बाद Niranjan ने ट्यूशन के बचाए पैसे से 600 रुपए में सेकेंड हैंड साइकिल खरीदी।
इंटर की पढ़ाई के साथ ही निरंजन IIT की तैयारी कर रहे थे। IIT की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने ISM धनबाद से माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए Niranjan ने चार लाख रुपए का एजुकेशन लोन लिया था। 2011 में कोल इंडिया लिमिटेड में असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर नौकरी पाने के बाद निरंजन ने लोन चुका दिया।
यूपीएससी की परीक्षा में 728 वां रैंक आने से निरंजन संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस में जॉब मिलेगा। मैं अगले साथ फिर से परीक्षा दूंगा।
मेरा टारगेट IAS बनना है।