तिलकुट गया का और तिल होता था राजस्थान-गुजरात का, लेकिन अब बिहार में ‘खास खेती’ की बड़ी तैयारी

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बिहार के गया का तिलकुट देश में प्रसिद्ध है। प्रदेश सरकार बिहार, खासकर गया में तिल उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, ताकि यहां उपजे तिल से ही गया में तिलकुट का निर्माण हो सके और तिल उत्पादन से किसानों को लाभ भी मिल सके। गया में तिल की खेती फिर से शुरू कर दी गई है। इस वर्ष यहां 500 एकड़ में गरमा तिल की खेती की जा रही है। पिछले साल तिल की खेती नहीं के बराबर हुई थी। गया का तिलकुट देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। जाड़े के दिनों में यहां के तिलकुट की मांग विदेशों में भी रहती है। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बोध गया में आने वाले विदेशी पर्यटक भी यहां से तिलकुट ले जाते हैं।

तिलकुट गया का और तिल राजस्थान-गुजरात का

बताया जाता है कि तिलकुट बनाने के लिए यहां के कारीगरों को राजस्थान और गुजरात से तिल मंगवाना पड़ता है। प्रोत्साहन नहीं मिलने के चलते स्थानीय किसानों ने तिल की खेती करनी छोड़ दी थी। कृषि विभाग के प्रयास से गरमा में अब दुबारा खेती शुरू की गई है। इससे किसानों की भी आय बढ़ेगी। कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने बताया कि खाद्य एवं पोषण सुरक्षा-कृषोन्नति योजना (एनएफएसएम) के तहत 21 क्विंटल गरमा तिल के बीज का वितरण किया गया।

अब बिहार में ही मिलेगा तिल

उन्होंने दावा किया कि लगभग 500 एकड़ में किसान गरमा तिल की खेती कर रहे हैं। इस साल फसल भी अच्छी है। उन्होंने बताया कि व्यापारी अभी से तिल की खरीदारी करने के लिए किसानों से संपर्क करने लगे हैं। अगले मौसम में गया जिले में तिल की खेती का और क्षेत्र विस्तार किया जाएगा। सरकार की योजना बड़े पैमाने पर तिल की खेती करवाने की है।

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