जिले के टिकारी प्रखण्ड का ऐतिहासिक सात आना किला परिसर आज खंडहर में तब्दील हो चुका है.
यहाँ का माँ दुर्गा भवन परिसर का अवशेष आज भी मौजूद है. यह वही स्थान है. जहाँ दुर्गा पूजा समारोह के अवसर पर कभी सजे धजे हाथी-घोड़े का जमघट लगता था.
इस किले का सात आना परिसर आम लोगों के लिए खुला रहता था. जहाँ कोसो दूर से हजारों की संख्या में ग्रामीण माँ दुर्गा का दर्शन एवं मेले का आनंद लेने आया करते थे.
अब ये सारी बातें केवल यादों में रह गई है। बीते दिनों की बातें कर बुजुर्ग रोमांचित हो जाते हैं.
बात उस समय की है. जब टिकारी राज की स्थापना के बाद राजा द्वारा किला में दुर्गा पूजा समारोह का भव्य आयोजन किया जाता था. टिकारी राज के अंतिम राजा महाराजा कैप्टन गोपाल शरण सिंह तक राजसी ठाठ के साथ दुर्गा पूजा का आयोजन होता रहा.
मेला के दौरान सजेधजे घोड़े हाथी किला परिसर में स्थित विशाल तालाब एवं कुआ, सतघरवा, नाच घर आदि मेले में आए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र हुआ करता था. और आज ये सारी ऐतिहासिक बातें व विशेषता केवल याद बनकर रह गई है.