पिता ने मांगा दहेज बिहार के इस बेटे ने ठुकराया, कहा-ऑटो चलाकर जीवनयापन करूंगा लेकिन दहेज नहीं लूंगा

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पटना: बीते दो अक्तूबर को गांधी जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर से दहेज प्रथा और बाल विवाह को खत्म करने की मुहिम की शुरुआत की थी. पूरे सूबे में पांच करोड़ लोग शपथ लेकर इस सामाजिक क्रांति के आगाज के गवाह बने थे.

इसके पांच दिन बाद ही इस मुहिम में धनरूआ का नाम जुड़ गया। धनरूआ के मझनपुरा गांव के एक युवक ने अपने पिता द्वारा लड़की वालों से मांगे गये दहेज का विरोध करते हुए उसी लड़की से बिना दहेज की शादी कर ली और अपनी नवविवाहिता पत्नी को साथ लेकर घर आ गया। हालांकि, पहले तो उसके घर वालों ने इसका विरोध किया, लेकिन लड़के की जिद व गांव वालों के समझाने के बाद परिजनों ने सम्मानपूर्वक नवदंपति को घर में प्रवेश कराया। दोनों ने खुशीपूर्वक अपने नवजीवन की शुरुआत की है। इसकी चर्चा इलाके भर में हो रही है।

 

जानकारी के अनुसार, बीते बुधवार को आश्विन पूर्णिमा के दिन धनरूआ के मझनपुरा निवासी विद्या पासवान के घर उसके दूसरे पुत्र बिट्टू पासवान से शादी के लिए मसौढ़ी के भगवानगंज अनौली के मंगल पासवान आधा दर्जन लोगों के साथ रिश्ता लेकर आये थे। मंगल पासवान ने अपनी 19 वर्षीया पुत्री राजमंती देवी की शादी के लिए लड़के के पिता विद्या पासवान से बातचीत शुरू की । विद्या पासवान ने शादी के लिए हामी भरते हुए 50 हजार नकद व मोटरसाइकिल की मांग रख दी। मंगल पासवान ने नकद की राशि कुछ कम करने की विनती की, लेकिन विद्या पासवान उससे कम में तैयार नहीं हुए।

अंत में लड़की के पिता ने 30 हजार रुपये व मोटरसाइकिल का अंतिम प्रस्ताव रखा, लेकिन लड़के के पिता टस-से-मस नहीं हुए। शादी की बात बीच में ही बंद हो गयी और लड़की के पिता उठ कर अपने घर के लिए चल दिये। जब इसकी जानकारी विद्या पासवान के बेटे बिट्टू को हुई, तो वह दौड़ा-दौड़ा गांव के चौराहे पर आया और लड़की के पिता से मुलाकात कर कहा कि अगर हम आपको पसंद हैं, तो शादी बिना दहेज के करेंगे। लड़की के पिता ने उसे समझाया कि अपने पिता के खिलाफ जाकर शादी मत करो, लेकिन उसने भरोसा दिलाते हुए कहा कि शादी हम करेंगे।

अंत में लड़की के पिता तैयार हो गये। फिर क्या था, बिट्टू उसी वक्त उनके साथ चल दिया और लड़की के घर पहुंच कर तुरंत शादी का प्रस्ताव कर डाला। इसके बाद लड़की वालों ने बिना कोई तामझाम के घर में ही सिंदूर दान करा दिया। इसके बाद बिट्टू ने अपने परिवालों को सूचित किया। बाद में दोनों ने शुक्रवार को धनरूआ स्थित वीर महादेव स्थान मंदिर में भी दोनों परिवारों की उपस्थिति में भी शादी कर ली।

बातचीत के क्रम में बिट्टू ने बताया कि मैंने एक आॅटो रखा है और उसी को चला अपना जीवनयापन करता हूं। शादी के बाद जिम्मेदारी बढ़ गयी है। इस वजह से अब मन लगा कर काम करूंगा, ताकि हमारी नयी जिंदगी की गाड़ी बढ़िया से चले। सात भाइयों में दूसरे नंबर पर बिट्टू ने बताया कि मुख्यमंत्री के संकल्प से प्रभावित होकर बिना दहेज के मैंने शादी की है।

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