पटना: भारत के पिछड़े राज्यों में से एक बिहार के कई इलाके ऐसे हैं जहां आज भी नदी पार करने के लिए पुल नहीं है। ऐसा ही एक जगह जिला के बौंसी प्रखंड का ऊपर नीमा गांव है जो आज भी नदी पर पुल की सुविधा से वंचित है। इस कारण उक्त गांव निवासी हरदेव पासवान के डायरिया से पीड़ित बेटे को इलाज के लिए नदी में आई बाढ़ को पारकर खाट पर लादकर ले जाया गया।
ऊपर नीमा गांव से रेफरल अस्पताल तीन किलोमीटर दूर है। जिसके बीच में संपर्क पथ भी नहीं है। बीच में दो नदी जोर हैं। जिस पर पुल–पुलिया कुछ भी नहीं है। पहाड़ी नदियों में एका–एक बाढ़ आ जाने से भयावह स्थिति बन गई है। डायरिया से पीड़ित महिला जहां गांव में ही कराहती रही और नीम हकीम के सहारे इलाज किया गया।
सुखनियां नदी में बाढ़ आ जाने के कारण एक अन्य महिला को बाढ़ के कारण लोग अस्पताल नहीं ले जा सके। जबकि आठ-दस लोगों ने जान हथेली पर रखकर उफनते जल सैलाब में पार होकर बच्चे का निजी क्लीनिक में इलाज कराया। साथ ही दवाई लाकर महिला का भी इलाज किया गया। रेफरल अस्पताल प्रभारी डॉक्टर जीतेंद्रनाथ एवं प्रबंधक मनोज कुमार ने संयुक्त रुप से कहा कि ऊपर नीमा गांव में डायरिया फैलने की जानकारी गांव वालों ने नहीं दी है। वैसे वहां एहतियात के लिए एंबुलेंस और स्वास्थ्यकर्मियों को भेजे जाने की बात कही गई है।
लेकिन सबसे विडंबना यह है कि ऊपर नीमा गांव जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। एम्बुलेंस जाए तो कैसे जाए। बीच में दो उफनती नदियां आम-आवागमन के लिए बाधक है। इलाज के अभाव में ऊपर नीमा के आधे दर्जन गर्भवती महिलाओं की मौत हो चुकी है। पिछले दिनों इसी गांव की महिलाओं ने साहस का परिचय दिखाते हुए तिरंगा झंडा लहराते हुए खेत बैहार में काफी दूरी तक कुदाल और फावड़ा लेकर सड़क बनाने का काम किया है।
Source: Etv Bihar