ठगी करने की दी जाती है ट्रेनिंग, खेतों में चलती है ‘पाठशाला’, डॉक्टर, कारोबारी से लेकर नेता तक को बना चुके हैं शिकार

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हम जामताड़ा के देवता हैं, हमको कोई बुलाता नहीं। हम प्रकट होते हैं।’ जनवरी 2020 में आई वेब सीरिज ‘जामताड़ा : सबका नंबर आएगा’ के इस डायलॉग से झारखंड का यह जिला साइबर ठगी के मामले में देशभर में मशहूर हो गया। पुलिस प्रशासन ने शिकंजा कसा तो अब साइबर अपराधियों ने बिहार के नवादा जिले को देश का दूसरा जामताड़ा बना डाला। एक कॉल से रातोंरात हजारो-लाखों रुपये कमा अमीर बनने का ख्वाब लेकर इस दलदल में फंसने वाले ज्यादातर युवा हैं, जिन्हें हर सप्ताह किसी न किसी राज्य की पुलिस छापेमारी कर गिरफ्तार कर ले जा रही है।

नवादा के काशीचक से शुरू हुआ ठगी का धंधा अब पूरे जिले में फैल चुका है। वारिसलीगंज, पकरीबरावां, हिसुआ, अकबरपुर और रोह के कई युवा इस अपराध में खुलेआम संलिप्त हैं। 150 से ज्यादा गांव ऐसे हैं, जहां इनका धंधा फल-फूल रहा है। बाकायदा इस धंधे को जानने व समझने के लिए खेतों, पहाड़ों और बगीचों में ‘पाठशाला’ लगती है। यहां  ट्र्रेनिंग दी जाती है। हाल ही में पकरीबरावां थाना क्षेत्र के थालपोस गांव के बगीचे से 33 साइबर अपराधियों की एक साथ गिरफ्तारी इसे और पुख्ता कर देती है। इन शातिरों ने डॉक्टर, व्यवसायी से नेता तक को शिकार बनाया है।

साइबर अपराधियों का बनेगा डाटा, ईडी-आईटी को भेजा जाएगा डिटेल

नवादा जिले में साइबर अपराध की घटनाओं में आयी तेजी और दूसरे राज्य की पुलिस की लगातार बढ़ती दबिश के बाद नवादा पुलिस भी सख्त हो गई है। अब इन अपराधियों का डाटा तैयार किया जा रहा है। इसमें उनका नाम, पता से लेकर सभी तरह की जानकारी उपलब्ध होगी, ताकि जानकारी मिलते ही पुलिस आसानी से इसमें शामिल अपराधियों का पता लगा सके। हाल ही में जिले के 45 साइबर अपराधियों की सूची प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर (आईटी) विभाग को सौंपी गयी है, ताकि  सभी शातिरों पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में कार्रवाई की जा सके।

डीएसपी सायली सावलाराम ने कहा है कि नवादा में साइबर अपराधियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। साइबर सेल का गठन किया जा चुका है। ये टीम योजनाबद्ध तरीके से अपना कार्य कर रही है। साइबर अपराध से जुड़े 45 अपराधियों की सूची भी ईडी व आईटी विभाग को सौंपी गयी है। अन्य अपराधियों की सूची तैयार की जा रही है, जिसे जल्द ही वहां भेजा जाएगा।

 

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