भोलेनाथ को सबसे प्रिय महीना श्रावन के महीने में पड़ने वाली फुहार प्रकृति में नवजीवन का संचार करती है। यह फुहार बारिश के रूप में ही नहीं पड़ती, दैवीय आशीर्वाद के रूप में भी हम पर बरसती है।इटावा के प्रख्यात शिव मन्दिर में एक हजार शिवलिंग है। महन्त सियाराम दास ने बताया कि इस महीने में शिव की कृपा के रूप में दैवीय ऊर्जा बरसती है। उन्होंने कहा कि सोमवार को व्रत में शिवलिंग के जलाभिषेक का विशेष महत्व है।
जहां अन्य देवों को प्रसन्न करने के लिए कठोर नियम-संयम की आवश्यकता होती है, वहीं भोलेनाथ के बारे में मान्यता है कि वह एक लोटे जल और बिल्वपत्र और धतूरे से ही प्रसन्न होकर भक्तगणों की सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।
शिव के जलाभिषेक के रहस्य के बारे में हमारे धार्मिक ग्रंथों में एक रोचक कथा का उल्लेख मिलता हैं। कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान उपजे हलाहल विष के पीने के कारण शिव के शरीर में गर्मी पैदा हो गई। तब देवताओं ने मस्तिष्क पर जल-धार और बिल्व पत्र अर्पित कर उनके शरीर की गर्मी को शांत किया था।
इससे भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए। तभी से भगवान शिव को जलधार और बिल्व अर्पित कर प्रसन्न करने की परंपरा विकसित हुई। श्रावण सोमवार व्रत के अंतर्गत इस महीने में पड़ने वाले सोमवार को व्रत रखा जाता है।
ये व्रत पांच सोमवारों तक किया जाता है। महंत ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि श्रावण महीने में श्रावण सोमवारों के दिन व्रत लेने से पूरे साल भर के सोमवार व्रत का पुण्य मिलता है।