नीतीश कुमार ने शरद यादव और मंत्री बिजेन्द्र यादव को मना लिया है। गठबंधन को लेकर शरद यादव और बिजेन्द्र यादव की जो भी शंकाएं थीं, नीतीश ने सबका निवारण कर दिया है।नीतीश कुमार कल नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शपथग्रहण समारोह में शामिल होंगे। इसके अलावा नीतीश सोनिया गांधी से भी मुलाकात करने वाले हैं। समझा जाता है कि इसके बाद नीतीश एक दो दिनों में बड़ा फैसला कर सकते हैं।बिहार विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से शुरू हो रहा। सुशील मोदी पहले ही कह चुके हैं अगर नीतीश 27 जुलाई तक तेजस्वी से इस्तीफा नहीं लेते हैं तो भाजपा बिहार विधानमंडल की कार्यवाही को चलने नहीं देगी। नीतीश इस स्थिति का सामना नहीं करना चाहते।
अब वे भी चाहते हैं कि तेजस्वी पर 27 जुलाई तक कई न कोई फैसला हो जाए। वे अपनी ‘मिस्टर क्लीन’ की छवि पर और बहस नहीं चाहते।
नतीश जब दो दिन पहले दिल्ली गये थे तब शरद यादव ने भी उनसे मुलाकात की थी। शरद ने नीतीश से महागठबंधन बचाने की अपील की थी। शरद यादव नहीं चाहते थे कि नीतीश तेजस्वी के मुद्दे पर महागठबंधन तोड़ कर भाजपा की तरफ जाएं। नीतीश सरकार के वरिष्ठ मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव भी शरद यादव की सोच का समर्थन कर रहे थे। इस बीच राजद सांसद तस्लीमुद्दीन ने बिजेन्द्र यादव पर महानंदा बेसिन योजना घोटाला का आरोप लगा कर मामले में नया मोड़ पैदा कर दिया। जदयू के नेता आपे से बाहर हो गये। शरद और बिजेन्द्र मान गये कि तेजस्वी के मुद्दे पर नरम पड़ना जदयू के लिए घातक होगा।
नतीश जब दो दिन पहले दिल्ली गये थे तब शरद यादव ने भी उनसे मुलाकात की थी। शरद ने नीतीश से महागठबंधन बचाने की अपील की थी। शरद यादव नहीं चाहते थे कि नीतीश तेजस्वी के मुद्दे पर महागठबंधन तोड़ कर भाजपा की तरफ जाएं। नीतीश सरकार के वरिष्ठ मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव भी शरद यादव की सोच का समर्थन कर रहे थे। इस बीच राजद सांसद तस्लीमुद्दीन ने बिजेन्द्र यादव पर महानंदा बेसिन योजना घोटाला का आरोप लगा कर मामले में नया मोड़ पैदा कर दिया। जदयू के नेता आपे से बाहर हो गये। शरद और बिजेन्द्र मान गये कि तेजस्वी के मुद्दे पर नरम पड़ना जदयू के लिए घातक होगा।
नीतीश ने तेजस्वी पर कार्रवाई का पहले ही फैसला ले लिया था। लेकिन वे महागठबंधन तोड़ने की तोहमत से बचना चाहते थे। नीतीश यह दिखाना चाह रहे हैं कि उन्होंने तो इस विवाद को सुलझाने के लिए बहुत कोशिशें की, समय दिया, लेकिन जब तेजस्वी की तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं की गयी तो वे क्या कर सकते हैं। इसी नीति के तहत नीतीश ने दो दिन पहले राहुल गांधी से मुलाकात की थी। नीतीश ने राहुल गांधी से कहा था कि कांग्रेस, तेजस्वी पर अपना स्टैंड क्लीयर करे।
अब फाइनल सिटी बजाने के पहले नीतीश सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। अगर तेजस्वी ने खुद इस्तीफा नहीं दिया तो नीतीश उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त करने के लिए आजाद हो जाएंगे। तब महागठबंधन का कोई नेता यह नहीं कह सकता कि नीतीश कुमार ने जल्दबाजी में यह कदम उठा लिया। ऐसा कर के नीतीश भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपने ट्रैक रिकॉर्ड को भी कायम रखने में कामयाब हो जाएंगे।