राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर महागठबंधन में बवाल मचा हुआ है। जेडीयू और आरजेडी में बयानबाजी का दौर शुरू है। ऐसे में कयास लगाये जा रहे हैं कि महागठबंधन बिखर जाएगा और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता की भूमिका में नजर आएंगे।
इफ्तार पार्टी के बाद तेजस्वी यादव के बयान से तो कुछ ऐसा ही लगता है। तेजस्वी ने कहा था कि ‘डर और दबाव की राजनीति नहीं करूंगा’। नीतीश के मीरा कुमार के बयान पर तेजस्वी ने कहा था कि मैदान में उतरने के पहले हार-जीत का फैसला कैसे हो सकता है। हार-जीत से ज्यादा बड़ी विचारधारा है।
ऐसा पहली बार है जब 28 साल के तेजस्वी ने चाचा नीतीश कुमार की बातों को काटा है। महागठबंधन को अटूट बताने वाले तेजस्वी ने साफ कर दिया कि अब वो किसी दबाव में आकर राजनीति नहीं करेंगे।
सूत्रों की माने तो आरजेडी के कई नेताओं का कहना है कि उपमुख्यमंत्री का मैसेज यह बताता है कि वह सीएम नीतीश से डरने वाले नहीं है। अब वो कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।
तेजस्वी के बयान को लेकर जेडीयू नेता वशिष्ठ नारायण सिंह ने कबूला है कि उपमुख्यमंत्री का बयान परेशान करने वाला है। सिंह ने कहा कि जेडीयू को कोई डिक्टेट नहीं कर सकता। दूसरों को नसीहत देने से बेहतर है कि आरजेडी महागठबंधन धर्म निभाए।
इधर, आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि कोविंद का समर्थन करने का नीतीश कुमार का फैसला राष्ट्रव्यापी महागठबंधन बनाने की कोशिश को झटका है। बीजेपी को रोकने के लिए हम जेडीयू को बर्दाश्त कर रहे हैं।