कुपोषण दूर करने की जिम्मेवारी आंगनबाड़ी केंद्रों पर है। पर यहां खुद कुपोषण के शिकार हैं। ऐसा ही मामला वारसाबाद पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 200 की है। यह आंगनबाड़ी केंद्र मवेशी गोहाल (तबेले) में संचालित हो रहा है। जहां बच्चे पशु बांधने वाले खूंटे के समीप ककहरा रटने पर विवश हो रहे हैं।
दरअसल, जिले में कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनका अपना भवन नहीं है। कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन पुराने भवनों में हो रहा है। इससे बच्चों को काफी परेशानी हो रही है। हालांकि आगनबाड़ी केंद्रों को भवन उपलब्ध कराने के लिए भवन की ओर से सूची तैयार कर ली गई है। लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो सका है।
शंभुगंज में कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्वच्छता का भी अभाव दिखता है। हर रोज अच्छे से साफ-सफाई नहीं की जाती है। साफ-सफाई के अभाव में संक्रमण फैलने के खतरे को टाला नहीं जा सकता है। उक्त केंद्र की सेविका विभा कुमारी ने बताया कि केंद्र को अपना भवन नहीं है , और न तो नजदीक में कोई सरकारी भवन है। जिसके कारण परेशानी हो रही है। वैसे प्रखंड के कुल 211 आंगनबाड़ी केंद्रों की बात करें तो मात्र सौ केंद्रों को अपना भवन है।
बिना भवन के चल रहे 111 आंगनबाड़ी केंद्र
शंभुगंज ब्लाक में 111 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना भवन नहीं है। इन केंद्रों को नजदीक के विद्यालय , सामुदायिक चौपाल अथवा मवेशी के तवेले में चल रहा है। इन मासूम बच्चों एवं सीधे – साधे अविभावक भी कुपोषण और संक्रमण जैसी बीमारियों से अंजान हैं , लेकिन समेकित बाल विकास परियोजना विभाग भी बेपरवाह है। जबकि आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की देखभाल करने के लिए सेविका के अलावे एक महिला सुपरवाइजर एवं सीडीपीओ की निगरानी होती है। इस संबंध में सीडीपीओ चंचला कुमारी ने बताया कि संबंधित सेविका से पूछताछ की जाएगी।