शरद पूर्णिमा या कोजागरी व्रत लक्ष्मी के आगमन की पूर्व सूचना है। शरद पूर्णिमा दो बातों के लिए मनाई जाती है, पहली लक्ष्मी का आगमन और दूसरी गोपियों कृष्ण का रास। शरद पूर्णिमा का जो पहला कारण है वो है कोजागरी व्रत। शास्त्र कहते हैं, इस रात लक्ष्मी पृथ्वी पर घूमती हैं। आवाज लगाती है (कौन जाग रहा है)।
लक्ष्मी की इसी बात से इस व्रत का नाम पड़ा है कोजागरी व्रत। सत्य है लक्ष्मी का वास वहीं है जहां लोग जाग रहे हैं। सोते हुए लोगों के पास लक्ष्मी नहीं ठहरती हैं। यहां जागने से मतलब सिर्फ आंखें खुली रखकर बैठने से भी नहीं है। जो भीतर से जागा हुआ है, वो ही जाग रहा है, सिर्फ आंखें खोल लेने भर को जागना नहीं कहते।
स्पष्ट संकेत हैं, लक्ष्मी को घर लाना है तो जागना पड़ेगा। समाज के बदलते वातावरण से बाजार के समीकरणों तक जिसकी दृष्टि स्पष्ट है, वहां लक्ष्मी स्वयं जा रही हैं। आप सिर्फ मन के द्वार खुले रखें। जिसे भीतर से जागना गया, उसे शरीर की नींद परेशान नहीं करती, क्योंकि वो निद्रा में भी जागृत रहता है। शास्त्र कहते हैं, इस रात लक्ष्मी पृथ्वी पर घूमती हैं। आवाज लगाती है (कौन जाग रहा है)।
लक्ष्मी की इसी बात से इस व्रत का नाम पड़ा है कोजागरी व्रत। सत्य है लक्ष्मी का वास वहीं है जहां लोग जाग रहे हैं। सोते हुए लोगों के पास लक्ष्मी नहीं ठहरती हैं। यहां जागने से मतलब सिर्फ आंखें खुली रखकर बैठने से भी नहीं है। जो भीतर से जागा हुआ है, वो ही जाग रहा है। शास्त्रकहते हैं…
निशीथेवरदा लक्ष्मी: को जागर्तिति भाषिणी।
जगाति भ्रमते तस्यां लोकचेष्टावलोकिनी।।
तस्मै वित्तं प्रयच्छामि यो जागर्ति महीतले।।
अर्थरात्रि के समय लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती है, कौन जाग रहा है, ऐसी ध्वनि करती हुई घर-घर देखती है। जो जाग रहा है, उसके पास लक्ष्मी ठहर जाएंगी। शरद पूर्णिमा ही क्यों? कृष्ण-गोपियों का रास के लिए भी, लक्ष्मी के आगमन के लिए भी। यही रात क्यों मनाई जाती है।
वर्षा ऋतु जा चुकी है, बारिश के चार महीने लोगों के लिए लगभग घर बैठने के लिए ही होते थे। खेती से व्यापार तक सब ठहर जाता था। बादलों के कारण ना सूर्य की किरणें धरती तक लगातार पहुंचती थी, ना ही रात में ठीक से चंद्र दर्शन हो पाता था। नवरात्र के साथ ही शरद ऋतु शुरू होती है। इसलिए उसे शारदीय नवरात्र कहते हैं।
आसमान साफ हो चुका है। पूर्णिमा पर जो चांद निकलेगा वो वर्षा ऋतु के बाद का पहला पूर्ण चंद्र दर्शन होगा। जैसे बारिश से धुला हुआ हो। शरद ऋतु है, सो ना ज्यादा गर्मी होगी, ना बहुत सर्दी।
नदी, तालाब, कुएं सब अपने पूर्व रुप में चुके हैं। ठहरे हुए व्यापार और खाली पड़े खेतों में फिर हलचल का समय गया है। और लक्ष्मी आकर देख रही है कि कौन जाग रहा है, कौन सो रहा है। कोजागरी व्रत जागने का यानी कर्म करने का संदेश देती है।