सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली सफाईकर्मी आशा बनीं RAS अधिकारी, 8 साल से अकेले पाल रहीं अपने दो बच्चों को

प्रेरणादायक

कठिन परिस्थितियों में रहकर सफलता प्राप्त करने वाले युवा पूरे समाज के लिए मिस्साल बन जाते हैं. ऐसी ही एक कहानी है जोधपुर की आशा की. राजस्थान की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा आरएएस परीक्षा- 2018 का अंतिम परिणाम आ गया है. RAS Exam- 2018 में सफलता का परचम लहराने वाले अभ्यर्थियों में से कुछ ऐसे भी हैं जो अन्य युवाओं के लिए मिसाल बनकर उभरे हैं. उनमें एक है जोधपुर की सफाईकर्मी आशा कंडारा.

आशा जोधपुर नगर निगम उत्तर में बतौर सफाईकर्मी कार्यरत है, लेकिन उसने अपने इस कार्य के साथ अनुशासनपूर्वक पढ़ाई कर राजस्थान प्रशासनिक सेवा जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफल होकर बता दिया कि वह भी किसी से कम नहीं है. अपनी कड़ी मेहनत के बल पर जोधपुर की सड़कों पर झाडू निकालने वाली आशा अब राजस्थान प्रशासनिक सेवा के लिये चयनित हो गई है.

आशा की सफलता की कहानी उस कहावत को पुख्ता करने का बेहतरीन उदहारण जिसमें कहा गया है कि ‘कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है’. वास्तव में नहीं है चाहे फिर परिस्थितियां कैसी भी हो. राजस्थान लोकसेवा आयोग की ओर से मंगलवार रात को घोषित किए आरएएस परीक्षा-2018 के परिणामों में आशा ने 728वीं रैंक प्राप्त की है. आशा कंडारा पिछले कई बरसों से नगर निगम में अस्थाई सफाईकर्मी के तौर पर कार्यरत है. वह जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाती है.

आशा के सिर पर दो बच्चों की जिम्मेदारी भी है. बावजूद इसके आशा ने पढ़ाई का दामन नहीं छोड़ा. दिन में सफाई का काम करना और समय मिलने पर किताबों की संगत करने से आशा की जिंदगी अब बदलन गई है. आशा ने अपने सपनों को पूरा करने के लिये संघर्ष की इस राह में कड़ी मेहनत को चुना. आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसने आरएएस परीक्षा के तमाम तीनों चरणों प्री एग्जाम, मुख्य एग्जाम और इंटरव्यू में सफलता का परचम लहरा दिया.

आशा कंडारा के दो बच्चे हैं. 8 साल पहले पति से अनबन हो गई थी. पति से अलग होने के बाद वह अपने बच्चों का पालन पोषण खुद ही कर रही है, लेकिन आशा ने हिम्मत नहीं हारी. बुलंद हौसलों के चलते वह नगर निगम में अस्थाई सफाईकर्मी की नौकरी करती रही और पढ़ाई जारी रखी. आशा को हाल ही में 12 दिन पहले ही नगर निगम में सफाईकर्मी के तौर पर स्थाई नौकरी की सौगात मिली थी.

आशा कंडारा बताती हैं कि नगर निगम में काम करने के दौरान वह स्कूटी से जाती थी. जहां ड्यूटी होती वहां झाड़ू निकालकर साफ सफाई करती. लेकिन नगर निगम में बैठे अफसरों को देखकर उसके मन में भी अफसर बनने का जुनून पैदा हुआ. ग्रेजुएशन करने के बाद उसने आरएएस की तैयारी शुरू कर दी. आखिरकार कड़ी मेहनत रंग लाई और आज उसका सपना पूरा हो गया.

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