सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने (जल चढ़ाने) की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। कई लोग यह परंपरा निभा रहे हैं। इसके कई फायदे बताए गए
हैं। वास्तव में सूर्य को जल चढ़ाने से हमारे व्यक्तित्व पर सीधा असर पड़ता है। सूर्य को ग्रहों का स्वामी कहा जाता है। ये पंचदेवों में एक हैं। जीवन को व्यवस्था सूर्य से ही मिलती है। पुराणों में सूर्य की उपासना को सभी रोगों को दूर करने वाला बताया गया है। हिंदू संस्कृति में अर्घ्य दान यानी जल देना सामने वाले के प्रति श्रद्धा और आस्था दिखाने का प्रतीक है। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देने का अर्थ है जीवन में संतुलन को आमंत्रित करना। सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि जब हम सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो इससे हमारे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
सुबह की ताजी हवा और सूर्य की पहली किरणें हम पर पड़ती हैं। इससे हमारे चेहरे पर तेज दिखाई देता है। जब सूर्य को जल चढ़ाते हैं और पानी की धारा के बीच उगते सूरज को देखते हैं तो नेत्र ज्योति बढ़ती है। पानी के बीच से होकर आने वाली सूर्य की किरण जब शरीर पर पड़ती हैं तो इन किरणों के रंगों का भी हमारे शरीर पर प्रभाव पड़ता है। इसमें विटामिन डी जैसे कई गुण भी मौजूद होते हैं। इसलिए कहा गया है कि जो उगते सूर्य को जल
चढ़ाता है उसमें सूर्य जैसा तेज आता है।
सूर्यदेव को जल अर्पित करते समय रखें खास बातों का ध्यान
जीवन में सफल होने के लिए और धन कमाने के लिए हम कई देवी देव का पूजन करते हैं और उनसे अपने लिए वरदान भी मांगते हैं. जैसे देवी लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है वैसे ही धन के लिए और अपार सफलता के लिए सूर्यदेव को भी प्रसन्न किया जाता है. आज हम आपको बताते हैं कैसे प्रसन्न किया जा सकता है सूर्य देव को. सूर्यदेव को प्रसन्न कर आप अपनी कुंडली के दोष भी हटा सकते हैं. अगर सूर्यदेव आपकी कुंडली में विराजमान है और रुष्ट हैं तो आप उन्हें कुछ इन उपायों से मना सकते हैं.
सूर्य देव को सुबह जल तो सभी चढ़ाते हैं और अपने लिए कामना भी करते हैं लेकिन कई बार सूर्यदेव फिर भी उनसे रुष्ठ रहते हैं. इसके लिए हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे उपाय जो आपको सूर्यदेव को जल अर्पित करते हुए ध्यान में रखने होंगे. बता दें किन बातों का ध्यान रखना है आपको जल अर्पित करते हुए.
* सूर्यदेव को हमेशा तांबे के लोटे से चढ़ाए जल चढ़ाएं, स्टील के लोटे से कभी ना चढ़ाएं इससे सूर्यदेव रुष्ठ होते हैं.
* इस बात का खास ध्यान रखें कि पूर्व दिशा में रखे मुख करके ही सूर्यदेव को जल चढ़ाएं.
* ब्रह्म मुहूर्त का समय सूर्यदेव को जल चढाने के लिए सबसे उचित है. इस मुहूर्त में जल अर्पित करें तो आपको कई लाभ हो सकते हैं. सुबह 8 बजे के पहले जल अर्पित कर देना चाहिए.
* जल चढ़ाते समय ‘ऊं आदित्याय नम:, ऊं भास्कराय नम:’ का जाप कर सकते हैं.
* चल अर्पित करते समय ध्यान रहे कि जल आपके पैरों को ना छुए. इससे बचने के लिए आप नीचे कुछ भी रख सकती हैं जिससे जल उसमें आ जाये और बाद में उसे पौधों में डाल दें.