ग्रहण की घटना भले ही खगोलीय हो, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इसके लाभ और हानि का दूरगामी परिणाम होता है. इस साल चार ग्रहण हैं. जिसमें पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023 को और पहला चंद्र ग्रहण 05 मई को लग चुका है. अब इस वर्ष के अंतिम दो ग्रहण लगने जा रहे हैं. जिसमें, आज यानी 14 अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. आचार्य रामरतन भारद्वाज के मुताबिक ग्रहण के दौरान साधना और दान पुण्य करना जरूरी माना जाता है. इस काल में जातक सिद्धि भी प्राप्त कर सकते हैं.
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण अश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या पर शनिवार (14 अक्टूबर) को लगेगा. यह सूर्य ग्रहण कंकड़ाकृति सूर्य ग्रहण होगा. इसकी विशेषता यह है कि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. मूल रूप से यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका और उत्तरी अफ्रीका का किनारा, अटलांटिक और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा. भारतीय समयानुसार, 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण शनिवार को रात में 08 बजकर 34 मिनट पर प्रारंभ होगा और रात 02 बजकर 25 मिनट पर ये समाप्त हो जाएगा.
क्या होगा धरती पर प्रभाव?
ग्रहण के प्रभाव से धरती पर प्राकृतिक आपदा, भूकंप, महामारी, सुनामी, बड़े देशों में युद्ध की स्थिति के रूप में देखा जाएगा. 12 राशियों पर इसका अच्छा और बुरा प्रभाव भी पड़ेगा. आचार्य रामरतन की मानें तो इस ग्रहण से भारत के कई राज्यों में व इंग्लैंड, डेनमार्क, श्रीलंका, सीरिया, नेपाल, पोलैंड, फिलिपींस और पूर्वी प्रान्त में रोग, पशुओं में बीमारी, झगड़ें, प्रत्येक प्रकार के अन्न में मंदी, तूफान, अच्छी वर्षा, सरसों, अलसी, गुड़, शक्कर, सोना, चांदी, शेयर, घी, रुई, मसूर, खांड, वेजिटेबल, रसदार पदार्थ, सूत में तेजी होने के आसार हैं.
चंद्र ग्रहण का समय और सूतक काल
रामरतन भारद्वाज के मुताबिक, सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद 28 अक्टूबर 2023 को चंद्र ग्रहण भी लगेगा. भारत वासियों के लिए 28 अक्टूबर को लगने वाला ये चंद्र ग्रहण दृश्य होगा और भारत में इसकी भौतिक और आध्यात्मिक मान्यता भी होगी. आचार्य रामरतन ने आगे बताया कि चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को है. भारतीय समय से विरल छाया प्रवेश रात्रि 11:32 बजे ग्रहण का स्पर्श रात्रि 1:05 बजे, मध्य रात्रि 1: 44 बजे, मोक्ष रात्रि 2 :23 बजे, विरल छाया निर्गम रात्रि 3:56 बजे होगा. इसलिए इसका सूतक काल भारतीय समय से शाम 04 बजकर 05 मिनट से प्रारम्भ हो जाएगा. बताते चलें कि सूतक काल में मंदिर में नहीं जाया जाता और भगवान को स्पर्श नहीं किया जाता है. आचार्य ने बताया कि इस दौरान लोग घर में साधना कर सकते हैं.