तुम्हारे भी पापा आएंगे बेटा.. एक दिन आएंगे..तुम्हारे लिए ढेर सारे खिलौने लाएंगे..इतना बोलते-बोलते उनकी आंखों में आंसू आ गए।
फिर कहने लगीं -कैसे समझाऊं इस बेटी को, कुछ समझ में नहीं आता है। मगर मेरी बेटी बहुत समझदार है। कभी पापा के लिए जिद नहीं करती। बस इतना बोलती है- उसके पापा आए थे..।
इतना कहने के बाद ऋचा वर्मा बोलीं- मेरी बेटी मेरा संसार है। इसके लिए ही मुङो घर से निकाला गया। अब मैं इसके लिए ही जी रही हूं। अपनी बेटी के लिए 18 से 20 घंटा काम करती हूं, क्योंकि मैं इसकी मां हूं। ऋचा वर्मा एक शिक्षिका हैं।
लेकिन कहती हैं कि अपनी जिंदगी की किताब को ही ठीक से समझ नहीं पा रही हूं।