ये साल 2008, 2009, 2010 और 2017 हैं। ये आनंद कुमार की मेहनत ही है कि अभावों में जिंदगी जीने वाले आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े छात्रों को IIT में दाखिला मिला।
सुपर-30 के इस बैच से पास हुए छात्रों में ज़्यादातर बेहद ही गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले हैं।
आईआईटी के लिए चुना छात्र अरबाज़ आलम एक अंडे बेचने वाले का बेटा है। उसके पिता सड़क किनारे अंडे बेचते हैं। जबकि अर्जुन कुमार और अभिषेक कुमार ऐसे छात्र हैं, जिनका पिता के खेतिहर मज़दूर हैं।