सुखाड़ की स्थिति से सहमे सीतामढ़ी के किसान, धान का बिचड़ा हो रहा बर्बाद, सरकार से की यह मांग

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जिले की आबादी कृषि पर निर्भर है. ज्यादातर परिवार अपना जीवन यापन करने के लिए कृषि से अर्जित धन का ही सहारा लेते हैं. परंतु सीतामढ़ी सहित उत्तरी बिहार में बारिश न होने की वजह से इस बार अकाल की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है.

अमूमन जून के आखिरी हफ्ते तक सभी किसान अपने अपने खेतों में रोपनी कर लिया करते थे. परंतु इस बार औसत से काफी कम बारिश होने की वजह से अधिांश भूभाग पर भी रोपनी नहीं हो पाई है. स्थिति ऐसी आ चुकी है कि बारिश का एक एक बूंद अमृत के समान है. मॉनसून की दगाबाजी के चलते किसान परेशान हैं. बारिश के अभाव में धान का बिचड़ा खेतों में सूखने लगा है. जबकि हर वर्ष बारिश हो जाने से किसान इस वक्त तक धान की रोपाई कर निवृत हो जाते थे. लेकिन, इस साल मायूसी झेलनी पड़ रही है और किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं.

ऐसे कर रहे धनरोपनी


किसान बिहारी साह ने बताया कि अन्य साल जून-जुलाई के महीने में अमूमन जिले के किसान खेतों में धान की रोपनी कर लिया करते थे. परंतु इस बार औसत से बेहद कम बारिश होने की वजह से अब तक धान की रोपाई नहीं हो पाई है. जिसके चलते किसान परेशान हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि अच्छी बारिश नहीं हाने केचलते अधिकांश भूभाग खाली पड़ा है. बैजू साह ने बताया कि इस बार पंपिंग सेट के जरिए पटवन कर धान की रोपाई करने को विवश हैं. जिसमें अधिक खर्च भी हो रहा है. अगर धान की फसल नहीं हुआ तो इसके खर्च के बोझ से उबरना मुश्किल हो जाएगा.

सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग

किसान बैजू साह ने बताया कि पंपिग सेट से तो किसी तरह धान की रोपाई कर ले रहे हैं, लेकिन बारिश नहीं हुई तो धान की फसल को बचाना मुश्किल हो जाएगा. बारिश नहीं होती है तो सारा मेहनत और लगा पूंजी बर्बाद हो जाएगा. कुछ दिन बाद यह फसल भी सूख जाएगा. उन्होंने दर्द बयां करते हुए बताया कि सीतामढ़ी जिला को सूखा क्षेत्र घोषित किया जाए ताकि इस अकाल की परिस्थिति में सरकार की तरफ से कुछ न कुछ अनुदान मिल सके. अन्यथा किसान को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि 3 एकड़ में खेती करते हैं, परंतु बारिश न होने की वजह से महज 2 से 3 कट्ठे जमीन में रोपनी किया है. इससे सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि इस क्षेत्र में अकाल की कैसी परिस्थिति उत्पन्न हो चुकी है

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