चीनी उत्पादन के लिए प्रदेश की 11 मिलों को 6981 गांवों से गन्ना उपलब्ध करवाया जायेगा। इस सीजन में गन्ना पेराई की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इसकी शुरुआत नवंबर महीने से हो जायेगी।
इसे लेकर पिछले दिनों प्रदेश सरकार के गन्ना उद्योग विभाग ने चीनी मिलों के लिए क्षेत्र आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली। नवंबर के पहले सप्ताह से गन्नों की पेराई शुरू हो जाएगी।
साल 2014-15 में सभी मिलों से 5।267 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ था। यह आंकड़ा साल 2015-16 में बढ़कर छह लाख मीट्रिक टन हो गया। साल 2016-17 में भी यही रहा। इस बार बाढ़ से गन्ने के नुकसान के कारण चीनी उत्पादन की मात्रा प्रभावित होगी।
सभी चीनी मिलों की उत्पादन क्षमता अलग-अलग है। इसलिए उन्हें गन्ने की अलग-अलग मात्रा की जरूरत है। पिछले साल गन्ने से चीनी उत्पादन की दर करीब 10 फीसदी रही थी। औसतन एक एकड़ जमीन में 140 क्विंटल गन्ने की पैदावार होती है।
इन चीनी मिलों के लिए गांवों का समूह आरक्षित:
हरिनगर चीनी मिल
चीनी मिल हरिनगर की प्रतिदिन पेराई क्षमता एक लाख क्विंटल है। इसके प्रबंधकों ने मिल की क्षमता बढ़ाने के लिए उद्योग विभाग एसआईपीबी के तहत आवेदन दिया था। स्वीकृति मिलने पर प्लांट लगने के बाद इसे प्रतिदिन 12500 टन गन्ने की जरूरत होगी।
इस मिल को कुल 418 गांव आरक्षित किए गए हैं। इन गांव में खेती के लिए कुल 129646।42 एकड़ जमीन हैं। 60 से 62 फीसदी पर गन्ने की खेती होती है। इसे 130 लाख क्विंटल गन्ना मिलने की संभावना है।
बगहा चीनी मिल
मिल की पेराई क्षमता प्रतिदिन 80000 क्विंटल गन्ने की है। इसे तीन साल में बढ़ाकर 15 हजार टन करने का लक्ष्य है। इस मिल के लिए 295 गांवों का आरक्षण किया गया है। इनसे करीब 84।36 लाख क्विंटल गन्ना मिलने की संभावना है।
नरकटियागंज
यहां न्यू स्वदेशी सुगर मिल की पेराई क्षमता प्रतिदिन 75000 क्विंटल गन्ने की है। इसे बढ़ाकर 9000 टन करने का लक्ष्य है। 449 गांव आरक्षित हैं। इनसे 130।33 लाख क्विंटल गन्ना मिलने की संभावना।
रीगा चीनी मिल
मिल की पेराई क्षमता प्रतिदिन 50000 क्विंटल गन्ने की है। इसके लिए 1421 गांव आरक्षित किए गए हैं। इनसे करीब 45 लाख टन गन्ना मिलने की संभावना है।
लौरिया
पेराई क्षमता प्रतिदिन 35000 क्विंटल गन्ने की है। इसके लिए 170 गांव आरक्षित किए गए हैं। इनसे करीब 55।93 लाख क्विंटल गन्ना उत्पादन की संभावना।