Patna: जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया, जिसके बाल पूरी तरह सफेद हैं। इतना ही नहीं उसकी भौहें भी सफेद हैं। साथ ही शरीर का रंग भी मिल्की गोरा है। बच्चे को देखने के लिए अस्पताल में भर्ती मरीज के स्वजनों की भीड़ लग गई। लोग उसका फोटो भी ले रहे थे। इतना ही नहीं अस्पताल की नर्सों के लिए बच्चा भी अजूबा है। वे भी बच्चे के साथ सेल्फी ले रही थीं। चिकित्सकों के अनुसार ऐसे बच्चे हजारों में एक पैदा होते हैं, लेकिन जेएलएनएमसीएच में ऐसा पहला बच्चा जन्म लिया है, जिसके बाल सफेद हैं।
जमालपुर धरहरा की प्रमिला देवी पुत्र को जन्म देकर प्रसन्न है। पिता का नाम राकेश यादव है। प्रसव वेदना होने पर छह सितंबर को मुंगेर सदर अस्पताल में भर्ती हुई। उसे वहां से जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय रेफर कर दिया गया। आब्स एंड गायनी विभाग में रात करीब 12 बजे सिजेरियन के माध्यम से बच्चा पैदा हुआ। डा. अंशु ने बताया कि महिला के शरीर में हिमोग्लोबीन मात्र छह ग्राम था और दर्द भी ज्यादा हो रहा था। इसलिए जूनियर महिला डाक्टर ने सिजेरियन किया।
शिशु रोग विशेषज्ञ डा. मनोज कुमार सिंघानियां ने कहा कि एल्बिनो की कमी से ऐसा होता है। इसे ऐक्रोमिया, एक्रोमेसिया या एक्रोमेटोसिस भी कहा जाता है। मेलेनिन के उत्पादन करने वाला एंजाइम का अभाव होता है। इसके परिणाम स्वरुप त्वचा, बाल और आंखों में रंग सफेद होते हैं। इसे जन्मजात विकार भी कहा जाता है। इसके लिए जिन भी जिम्मेवार है। सिंघानियां ने कहा कि ऐसे बच्चे धूप को सहन नहीं कर सकते। ज्यादा देर तक धूप में रहने से शरीर में जलन होने लगती है। स्कीन कैंसर होने की भी संभावना रहती है।
मानसिक रोग विभाग के सह प्राध्यापक डा. कुमार गौरव ने कहा कि ऐसे बच्चों का समाज में उपहास और भेदभाव किया जाता है जो उचित नहीं है। विश्व भर की संस्कृतियों में ऐल्बिनिजम पीडि़त लोगों के बारे में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं। हानिकारक मिथक से लेकर खतरनाक अंधविश्वास भी शामिल है जो मानव जीवन को प्रभावित करता है।