ऊर्जा सुरक्षा को लेकर कई मोर्चों पर काम कर रहे भारत ने श्रीलंका के रिनीवेबल एनर्जी का एक हब बनाने का प्रस्ताव किया है। कोलंबो में शुक्रवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के बीच हुई मुलाकात में इस पर सहमति बनी है। भूटान और नेपाल के बाद श्रीलंका तीसरा पड़ोसी देश है जहां भारत ऊर्जा स्त्रोतों को विकसित कर इसे आपस में इस्तेमाल करने की रणनीति को आगे बढ़ा रहा है।
श्रीलंका में विक्ल्पों पर विचार
बता दें कि भूटान और नेपाल में पनबिजली परियोजनाओं को भारत लगा रहा है, जबकि श्रीलंका में पवन ऊर्जा, सोलर ऊर्जा जैसे रिनीवेबल ऊर्जा विकल्पों पर काम करने की सोच है। श्रीलंका की यात्रा पर गये जयशंकर ने कहा कि इस मुसीबत की घड़ी में भारत उसके साथ है और अगर जरूरत पड़ी तो अपनी तरफ से आगे बढ़ कर भी हम मदद करने को तैयार हैं। उन्होंने पिछले वर्ष चार अरब डॉलर की मदद का भी जिक्र किया जिसकी वजह से वहां आर्थिक संकट को कम करने में काफी मदद मिली थी।
श्रीलंका ने भारत को दिया धन्यवाद
जयशंकर से द्विपक्षीय बैठक के बाद श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने भी भारत को इस मदद के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि भारत के सहयोग से ही हमें कुछ हद तक आर्थिक स्थायित्व लाने में सफलता मिली है। भारत की तरफ से विदेश मंत्री ने श्रीलंका को रिनीवेबल सेक्टर में आगे बढ़ाने के वादे के साथ ही वहां भारतीय उद्योग जगत की तरफ से ज्यादा निवेश किये जाने की बात कही। इसके लिए श्रीलंका की सरकार को निवेश के माहौल को और बेहतर बनाने के लिए कदम उठाने की सुझाव दिया।
कई मुद्दों पर हुई बातचीत
इसके साथ ही भारतीय रुपये में कारोबार की मंजूरी को भी जरूरी ठहराया। भारतीय पर्यटकों को लुभाने में जुटी श्रीलंका सरकार को विदेश मंत्री ने एक अन्य सुझाव यह दिया कि वह भारतीय रपे कार्ड और यूपीआइ के भुगतान को मंजूरी दे ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक वहां जा सके। उन्होंने कहा कि भारतीय रुपये में आपसी कारोबार के भुगतान पर फैसला से दोनो देशों को काफी फायदा होगा।
श्रीलंका के राष्ट्रपति को भारत आने का न्यौता
विदेश मंत्री ने श्रीलंका के राष्ट्रपति को भारत शीघ्र आने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी का न्यौता भी दिया। बाद में विदेश मंत्री जयशंकर की मुलाकात पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और उनके छोटे भाई गोताबाया राजपक्षे व दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं से भी अलग अलग मुलाकात की। श्रीलंका में जल्द ही आम चुनाव होने वाले हैं। इस लिहाज से भारत हर राजनीतिक दल से संपर्क बना कर रखना चाहता है।