करोड़ों के गबन में फंसी Srijan महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड पर प्रशासन ने खूब कृपा बरसाई। जिम्मेदारों ने संस्था को करोड़ों की जमीन औने-पौने किराये में दे दी।
इतना ही नहीं, लीज पर देने से पहले लाखों रुपये खर्च कर इस जमीन पर इमारत भी बनवा दी। अफसरों की कृपा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 24275 वर्गफीट जमीन पर बनी इमारत महज 200 रुपये प्रतिमाह किराये पर दे दी।
Srijan संस्था संचालकों ने प्रशासनिक अफसरों से मिलकर सबौर ब्लॉक कार्यालय परिसर में 24275 वर्गफीट जमीन स्वीकृत करवा ली। इसके बाद जिम्मेदारों ने बड़ी ही चतुराई से खेल खेला।
संस्था को जमीन पर इमारत भी दरकार थी। लेकिन नियमानुसार, लीज की जमीन पर स्थायी निर्माण संभव नहीं था। ऐसे में अफसरों ने लीज से पहले ही इस जमीन पर इमारत बनवा दी। ब्लॉक सूत्रों के अनुसार, इसके निर्माण के लिए पंचायत समिति निधि के ब्याज का इस्तेमाल किया गया।
इमारत बनने के बाद वर्ष 2004 में पूरी इमारत संस्था को 30 साल की लीज पर दिया। इसके लिए अफसरों ने जो दरें तय की। वह भी महज नाम की रहीं। हर माह मात्र 200 रुपए किराये पर दे दी। ब्लाॅक से मिली जानकारी के अनुसार, तत्कालीन कलेक्टर केपी रमैया की जानकारी में ही सरकारी जमीन के दुरुपयोग का खेल शुरू हुआ था।
बताते हैं, लीज के दौरान उक्त जमीन और इमारत का बाजार मूल्य करीब 8 करोड़ रुपये था। इतना ही नहीं, ब्लॉक कार्यालय परिसर में इस तरह ही संस्था को जमीन व इमारत उपलब्ध करवाना नियम विरुद्ध था। इसके बाद भी जिला प्रशासन के मुखिया की अगुवाई में महज 2400 रुपये सालाना किराये पर जमीन व इमारत दी गई।
सबौर ब्लॉक के अनुसार, संस्था ने पिछले तीन साल से किराये की यह छोटी रकम भी जमा नहीं करवाई। वित्तीय वर्ष 2014-15 तक किराया नियमित जमा होता रहा। लेकिन वर्ष 2015-16 और 2016-17 के बीच किराया जमा नहीं किया गया।