पटना: सावन महीने में समस्तीपुर जिले में एक अनोखा मेला लगता है। जहां हर कोई हाथों में गले में सांप लिपटा कर यहां पहुंचता है। चारों तरफ सांप ही सांप नजर आते हैं। लोग सापों के साथ गंडक नदी में स्नान के बाद मां भगवती की पूजा करते हैं। विभूतिपुर प्रखंड के मनिहारी के सिंघिया और नरहट गांव के लोगों में सांपों की देवी विषहरी के प्रति गहरी आस्था है। यहां ये परंपरा सालों से चली रही है।
विषहरी देवी मंदिर से जुलूस की शुरुआत होती है। मंदिर के पुजारी राम सिंह एक के बाद एक सांप लेकर मंदिर के गर्भ गृह से बाहर आते हैं और लोगों को थमाते चले जाते है।
इसके बाद लोग दर्जनों सांप के साथ जुलूस निकालकर सिंघिया घाट पहुंचते हैं। घाट पर पहुंचने के बाद पुजारी गंडक नदी में मंत्र जाप के साथ नदी में गोता लगाते हैं और अंदर से सांप लेकर बाहर निकलते हैं।
जुलूस में शामिल लोगों के हाथ में सैकड़ों की संख्या में सांप मौजूद रहते हैं। इसके बाद घाट से पुजारी वापस मंदिर पहुंचते हैं और देवी विषहरी की पूजा की जाती है। पूजा के बाद सभी सांपों को खेत में छोड़ दिया जाता है।
पुजारी राम सिंह ने बताते हैं कि कई सालों से विषहरी पूजा की यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। मंदिर में माता विषहरी की कृपा है उनका आह्वान करने के साथ ही यहां सांप आ जाते हैं। ऐसा ही गंडक नदी में भी होता है।
पानी में खड़ा होकर आह्वान करने पर सांप अपने आप आ जाते हैं। राम सिंह ने कहा कि यह माता विषहरी की कृपा है कि पूजा के दौरान किसी व्यक्ति को सांप नहीं डंसता है।
हालांकि इलाके के जागरूक लोग इसे स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं मानते हैं। लोगों का कहना है कि सब हाथ की सफाई है। पुजारी ज्यादातर धामन सांप निकालता है जो पानी में रहते ही नहीं हैं। लोगों का कहना है कि महीनों पहले से ये लोग सांप पकड़कर रखते हैं।
Source: Live Bihar