एसपी जयंतकांत की पत्नी Smriti Paswan जमुई के बिगड़े हालात को सुधारने में लगी हुई हैं। स्मृति पासवान ने तनाव कम होने के बाद दोनों समुदाय के बीच बढी दूरियां मिटाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। वो पांच दिनों से पीड़ितों से लगातार बातचीत कर समस्या का स्थायी हल निकालने की कोशिश कर रही हैं।
मुकदमों में फंसे निर्दोष लोगों को न्याय, कसूरवारों को कठोर सजा दिलाने और पीड़ितों को उचित मुआवजे दिलाने के लिए उन्होंने एसपी जयंतकांत से मांग की है। स्मृति पासवान ने बुद्धिजीवियों के साथ शहर में शांति मार्च भी निकाला।
उन्होंने लोगों से अपील की कि वो आपस में भाईचारा बनाकर रखें, बच्चों को स्कूल भेजें। स्मृति ने कहा कि पुलिस प्रशासन सतर्क है। लेकिन शहर में शांति व्यवस्था के लिए खुद लोगों को आगे आना होगा।
स्मृति ने कई मुहल्लों में जाकर स्थानीय लोगों से बातचीत भी की। उन्होंने कहा कि प्रशासन आपके साथ है आप अपने मन से किसी भी तरह का डर बाहर निकाल दीजिए। और सब कुछ भूलकर नए सिरे से काम शुरू कर दीजिए। स्मृति पासवान ने सभी मुहल्ले की जागरूक महिलाओं और पुरुषों की कमेटी बनाई जाने की सलाह दी है।
ये कमिटी शहर में सभी गतिविधियों पर नजर रखेगी। उन्होंने कहा कि बच्चों को हर दिन स्कूल भेजिए। ताकि उनकी पढ़ाई में किसी तरह की कोई परेशानी न हो। उन्होंने लोगों से कहा कि कहीं कोई परेशानी नहीं है। लेकिन फिर भी किसी को भी कोई समस्या हो तो वो सीधे मुझसे बातचीत कर सकता है।
महिसौड़ी के लोगों ने एसपी की पत्नी स्मृति पासवान से कहा कि उन्हें जो नुकसान हुआ है इसका मुआवजा मिलना चाहिए। स्मृति ने उन्हें मुआवजा दिलाने का भरोसा दिया है। हालांकि कुछ लोग स्मृति के इस नेक काम को भी राजनीति के चश्मे से देख रहे हैं।
ऐसे लोग आरोप लगा रहे हैं कि अगले चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर स्मृति अपनी छवि मजबूत बनाने की कोशिश कर रही हैं। कई लोग कह रहे हैं कि स्मृति की मां नूतन पासवान पटना जिला परिषद अध्यक्ष रही हैं। स्मृति ने खुद जेएनयू से पीएचडी की है। निकट भविष्य में वो सांसद चिराग पासवान को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। इसीलिए वो खुलकर सामने आई हैं।
बहरहाल भविष्य में चाहे जो हो। लेकिन इतना तो तय है कि शहर में भड़की हिंसा और आगजनी की घटना को नियंत्रित करने तथा शहर में अमन -चैन बहाल करने में पब्लिक से सीधा संवाद से स्मृति की लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
स्मृति की वाकपटुता,नेतृत्व क्षमता और लोगों के बीच जाकर संवाद करने का तरीका अलग छाप छोड़ रहा है।