मधुबनी का प्राचीन नाम ‘मधुवन’ था , एक स्थान जहाँ राम ने सीता जी को प्रथम बार देखा !

कही-सुनी

मधुबनी का प्राचीन नाम ‘मधुवन’ था |त्रेतायुग के राजा जनक जिनका राज्य काफी विस्तारित था ,की राजधानी जनकपुर के नाम से प्रसिद्ध है |कहते भी हैं – ‘मधुवन’में राम खेलत होली | जगत जननी सीता फुल लोढ़ने राजा फुलवाड़ी गिरजा स्थान जो वर्तमान में फुलहर के नाम से प्रसिद्ध है , नित्य जाया करती थी | जनकपुर राज्य के चारों दिशाओं में चार शिवलिंग (मंदिर ) थे |पूरब में विशौल ,पश्चिम में धनुषा , उत्तर में शिवजनकं मंदिर , और दक्षिण में गिरिजा – शिव मंदिर अवस्थित था जो आज भी मौजूद है |

कहा जाता है कि राम-लक्ष्मण को धनुष की शिक्षा विशौल के पास ही जंगल में दिया गया था |विशौल के ठीक 10 किलोमीटर पश्चिम में गिरजा स्थान है |राम लक्ष्मण एक दिन फुलवाड़ी का दर्शन गिरजा स्थान आये जहां सीता जी की नजर राम पर और राम की नजर सीता जी पर पड़ी तो गिरजा पूजन के समय जगत-जननी जानकी जी के हाथ से पुष्प माला गिर गया वे लगाकर हंस पड़ी |तुलसी कृत रामायण में वर्णित चौपाई “खसत माल मुड़त मुस्कानी”साक्षी है |वही राम और सीता एक दुसरे से प्रेमातुर हो गए | पति-पत्नी का मिलन युग युगांतर तक होता रहा | यह प्रमाण रामायण से मिलता है |

प्रहलाद के पुत्र राजा बलि का किला
पूर्व में सतयुग में विष्णु, अवतार के समय हिरणकश्यप के पौत्र अर्थात प्रहलाद के पुत्र राजा बलि का किला मधुबनी जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर पूरब बलराजगढ़ में है जहा आज भी पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई की जा रही है |राजा बलि ने पृथ्वी पर इतना दान पुण्य किया कि विष्णु भगवान् ने स्वयं आकर उनकी परीक्षा ली और वौन रूप धारण कर उनसे उनका सारा राजपाट दान में ले लिया और दक्षिणा में सम्पूर्ण शरीर ही माप लिया |इसका प्रमाण वेद-पुराण में मिलता है |

सिद्धपीठ कपिलेश्वर स्थान
मधुबनी जिला मुख्यालय से पश्चिम 10 किलोमीटर की दुरी पर कपिल मुनि का निर्माण (मंदिर) कपिलेश्वर स्थान सिद्धपीठ बन चुका है |मधुबनी के पश्चिम में रहिका से 5 किलोमीटर की दुरी पर विस्फी स्थान है जहां राजा शिव सिंह का राज्य था |वहीँ कवि विद्यापति की जन्म स्थली है |

गोसाउनी घर
मधुबनी के पुलिस लाइन के रूप में राजा माधवन सिंह का गोसाउनी घर भी मौजूद है |मधुबनी जिला मुख्यालय से 2 किलोमीटर की दुरी पर महंथ भौड़ा ग्राम स्थान है |किवदंती है की राजा माधवन भगवती की पूजा अर्चना,साधना में इतने लीन रहते थे की पूजा आसनी, धरती से सवा हाथ ऊपर उठ जाया करती थी |मधुबनी जिला प्राचीन इतिहास की धरोहर है |यह राजा शिवसिंह ,लखिमा रानी विद्यापति , जयदेव् ,अयाची वाचस्पति जैसे महा पंडितों की जन्म स्थली है | मंगरौनी ग्राम सारे विश्व में तंत्र-मन्त्र मधुबनी जिला मुख्यालय से एक किलोमीटर की दुरी पर अवस्थित मंगरौनी गाँव की देन है | मंगरौनी ग्राम में भगवती ‘बुढ़िया माय’का एक मंदिर आज भी मौजूद है |

जयदेव का जन्म

कवि कोकिल विद्यापति से पूर्व जयदेव का जन्म हुआ |मैथिली एवं संस्कृत साहित्य में मिथिला की गौरवपूर्ण इतिहास की झलक मिलती है |कवि चन्दा झा का रामायण ,वाचस्पति की ‘भवमती’ टीका प्राचीन गाथा में संस्कृत भाषा में गीत गोविन्द आदि मधुबनी के गौरवमय इतिहास को प्रमाणित करते हैं |

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