पटना: केंद्र सरकार की दवा बिक्री नीति के विरोध में 28 सितंबर को देशभर की दवा दुकानें बंद रहेंगी। इसकी जानकारी बुधवार को बिहार केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष परसन कुमार सिंह एवं महासचिव अमरेंद्र कुमार ने राजधानी के चैंबर ऑफ कॉमर्स के सभागार में संवाददाता सम्मेलन में दी। उन्होंने कहा कि सरकार जिस नीति के तहत दवा दुकानों को लाइसेंस जारी करती है, उन्हीं नियमों के तहत ई- फार्मेसी चलाने वालों को लाइसेंस जारी करे। उनकी दवा की गुणवता की जांच होनी चाहिए। फिलहाल सरकार फार्मासिस्ट नियुक्ति के नियमों को संशोधित करे।
दुकानदारों के मुताबिक इससे बिहार के लाखों परिवार जो दवा दुकानों का संचालन करके रोजी-रोटी कमा रहे हैं, वे सड़क पर आ जाएंगे। नये एक्ट के लागू होने से फार्मासिस्ट डिग्रीधारी ही दवा दुकान चला सकते हैं। बिहार में अभी मात्र चार हजार लोग फार्मासिस्ट डिग्रीधारी हैं जबकि राज्य में अभी दवा की 28 हजार लाइसेंसी दुकानें संचालित हैं। इस एक्ट के लागू होने से राज्य के हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इसी एक्ट को वापस लेने के लिए यह आंदोलन शुरू किया गया है जिसको लेकर 28 सितंबर को सभी दवा दुकानें बंद रखी जाएंगी।
दुकानदारों की माने तो निम्न आय वाले उपभोक्ता अपनी स्थिति के अनुसार दवा खरीदते हैं, उन्हें ऑनलाइन फार्मेसी से यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो पायेगी। ई-फार्मेसी से जीवन रक्षक दवाओं को उपलब्ध करने में दिक्कत होगी। सलों से केमिस्ट संगठन ने कई बार सरकार को स्थिति से अवगत कराया, फिर भी फार्मेसिस्ट संस्थान को न तो विकसित किया गया और न ही इसका समाधान किया गया। सरकार यदि पहल नहीं करेगी, तो 90 प्रतिशत दवा दुकान बंद होने की कगार पर पहुंच जायेगी।
28 सितंबर को दवा की दुकानें बंद होने से मरीजों को काफी परेशानी होने वाली है। रेगुलर दवा लेने वाले लोग तो दवाई पहले ले सकते हैं मगर बंद के दिन बीमार पड़ने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें डॉक्टर दवाई तो लिख देगा मगर बाजार में दुकाने बंद होने के कारण दवा नहीं मिल पाएगी।
Source: Live Bihar