बिहार के सबसे छोटे जिले शिवहर के जर्रे-जर्रे में आस्था और भक्ति है। इस स्थली का अपना पौराणिक और धार्मिक इतिहास है। यह स्थली पर भगवान शिव और हरि के मिलन की भूमि है तो रामायण और महाभारत काल से भी इसका सीधा संबंध रहा है। शिव और हरि के मिलन की वजह से इसका नाम शिवहर पड़ा। शिवहर में कई धार्मिक स्थल है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने है। हालांकि, अबतक शिवहर को पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल सका है।
जिला प्रशासन द्वारा पुरनहिया प्रखंड के अशोगी गांव स्थित बौद्धि माई स्थान को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पहल जारी है। देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी है। इसके अलावा कुकेश्वर स्थान गौरी शंकर मंदिर, राज दरबार, रानी मंदिर, दसमहाविद्या मंदिर, दुर्गा मंदिर धनकौल राम जानकी मंदिर छतौनी, पुरनहिया बड़ी मठ, पुरनहिया छोटी मठ, बिसाही मठ शिवहर समेत कई मंदिर आस्था व भक्ति के केंद्र है।
जिला प्रशासन द्वारा पुरनहिया प्रखंड के अशोगी गांव स्थित बौद्धि माई स्थान को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पहल जारी है। देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी है। इसके अलावा कुकेश्वर स्थान गौरी शंकर मंदिर, राज दरबार, रानी मंदिर, दसम
आस्था का केंद्र हैं देकुली धाम
शिवहर-सीतामढ़ी हाईवे के ठीक किनारे डुब्बघाट के पास है देकुली धाम। देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर लोक आस्था का केंद्र है। यहां प्रत्येक रविवार को जलाभिषेक के लिए आस्था का जन सैलाब उमड़ता है। यहां जलाभिषेक करने से मन्नत पूरी होती है। महाशिवरात्रि, विवाह पंचमी, बसंतपंचमी व रामनवमी पर भव्य मेला लगता है। यहां सालों भर शादी, विवाह, उपनयन व मुंडन आदि संस्कार होते रहते है। बाबा भुवनेश्वर नाथ मंदिर अति प्राचीन है। इस मंदिर का निर्माण द्वापर काल में किया गया था। एक ही पत्थर को तराश कर बनाए गए इस मंदिर में शिल्पकला का अनूठा नमूना मिलता है। वर्ष 1956 में प्रकाशित अंग्रेजी गजट में भी इसका उल्लेख मिलता है। कोलकाता हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में भी इस मंदिर को अति प्राचीन बताया था।
शिवहर का है पौराणिक महत्व
वर्ष 1962 में छतौनी गांव निवासी महान संत प्रेम भिक्षु ने खुदाई कराई थी। जिसमें कई प्राचीन मूर्तियां मिली थी। कहा जाता है कि देकुली धाम में ही हवन कुंड से द्रौपदी उत्पन्न हुई थी। देकुली के आसपास के कई गांवों का धार्मिक संबंध है। लोगों की माने तो सीता के साथ पाणिग्रहण संस्कार के दौरान भगवान श्री राम को महर्षि परशुराम के कोप का शिकार होना पड़ा। जो आज भी कोपगढ़ गांव के रूप में जाना जाता है। महर्षि परशुराम का जिस गांव में मोह भंग हुआ था वह गांव मोहारी के नाम से आज भी वजूद में है।
देकुली धाम मंदिर में राम ने परशुराम के साथ पूजा की थी। जिससे पूरा क्षेत्र शिव व हरि का मिलन क्षेत्र कहलाया। कालांतर में यह क्षेत्र को शिवहर के नाम से प्रख्यात हुआ। युद्धिष्ठिर ने इस इलाके में 61 तालाब खुदवाए थे। बाद में सभी तालाब बागमती नदी में सम्माहित हो गए। जहां युधिष्ठिर ठहरे थे वह क्षेत्र धर्मपुर के रूप में आज भी बरकरार है। इसके आसपास कुश की खेती की जाती थी, वह क्षेत्र कुशहर के रूप में बरकरार है।
वर्ष 1994 में जिले के रूप में मिला दर्जा
छह अक्टूबर 1994 को शिवहर, जिला के रूप में बिहार के नक्शे पर आया। तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद ने इसका उद्घाटन किया था। प्रसिद्ध लेखक व साहित्यकार भगवती चरण भारती यहां के पहले डीएम बने थे। पांच प्रखंड वाले शिवहर अनुमंडल को जिले का दर्जा मिला। पहले यह सीतामढ़ी जिले का एक अनुमंडल था। पंडित रघुनाथ झा ने इस अनुमंडल को जिले का दर्जा दिलाया। सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और चंपारण से सटा बागमती नदी की गोद में बसा शिवहर जिला कभी बाढ़ और नक्सलवाद के लिए बदनाम था।
बिहार का ओडीएफ घोषित जिला
पिछले 27 साल में शिवहर जिले ने कई उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। वर्तमान में शिवहर नगर पंचायत नगर परिषद बन गया है। यह बिहार का ओडीएफ घोषित जिला है। यहां की वादियों में हरियाली है। तालाब, पोखर और कुंओं का जाल है। एक एनएच और दो एसएच शिवहर से गुजरती है। शिवहर में रेलमार्ग नहीं है। जिला बनने के बाद शिवहर में डिग्री कालेज, पालिटेक्निक, आईटीआई, इंजीनियरिंग कालेज, एएनएम स्कूल, आईटी सेंटर, पावर सब स्टेशन आदि का निर्माण कराया गया है।
धार्मिकता से पूर्ण हैं शिवहर के लोग
शिवहर जिले के लोग धार्मिक है। यहां सती बिहुला, सामा चकेवा, जट-जटिन जैसे लोकपर्व की परंपरा बरकरार है। होली, दिवाली, छठ, दशहरा, ईद-बकरीद प्रमुख त्योहार है। मुढ़ी, कचरी, चुड़ा, घुघनी, दही-चूड़ा और मछली यहां खूब खाए और खिलाए जाते है। यहां पान की खेती नहीं होती है लेकिन, यहां के लोग पान के शौकीन है। पशुपालन और कृषि पर लोग निर्भर है। यहां धान, गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन, आम, केला, तरबूज, परवल व गन्ने की खेती होती है।
60 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी छह लाख 56 हजार 246 है। जो अब 8.15 लाख अनुमानित बताई जा रही है। जिले में शिक्षा का कुल प्रतिशत 53.78 है। इनमें महिला शिक्षा का प्रतिशत 45.26 व पुरुष शिक्षा का प्रतिशत 61.31 है। शिवहर में प्रजनन दर देश में सबसे अधिक है। हिंदी, बज्जिका और भोजपुरी यहां की मुख्य भाषा है। इसका क्षेत्रफल 443 वर्ग किमी है। बागमती और मनुषमारा यहां की प्रमुख नदी है।
शिक्षा और कला के क्षेत्र में रहा है अव्वल
शिवहर में शिक्षा की स्थिति भले ही ठीक नही है, लेकिन शिक्षा, कला और राजनीति के क्षेत्र में यहां के लोगों ने कई आयाम स्थापित किए है। तरियानी में रामवृक्ष बेनीपुरी ने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की है। छतौनी निवासी संत प्रेम भिक्षु जी महाराज ने संपूर्ण विश्व को श्री राम जय राम जय जय राम का नारा दिया। शिवहर जिले के कमरौली गांव को आईएएस के गांव के नाम से जाना जाता है। शिवहर की धरती पर जन्में एलएस कालेज के प्राचार्य डॉ. कमलदेव नारायण सिंह और डॉ. वीरेंद्र कुमार सिंह समेत दर्जनभर लोगों ने बिहार विवि में प्राध्यापक के रूप में सेवा दी।
जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी इजहार आलम भी शिवहर जिले के चिकनौटा गांव के रहने वाले थे। बिहार के पूर्व मुख्य सचिव सह वर्तमान में मुख्यमंत्री के मुख्य परामर्शी दीपक कुमार और प्रधान सचिव चंचल कुमार भी शिवहर के ही रहने वाले है। भोजपुरी फिल्मों की चर्चित अभिनेत्री डॉ. अर्चना सिंह भी शिवहर की है। इसके अलावा आधा दर्जन से अधिक लोग फिल्म जगत में अपना सिक्का जमाए हुए है।
यहां हुई जालिया वाला बाग जैसी घटना
शिवहर जिले ने स्वतंत्रता संग्राम में उल्लेखनीय भूमिका अदा की। यह वैशाली गणराज्य का हिस्सा था। शिवहर राज दरबार भी रहा है। इसका संबंध बेतिया राज घराने से रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शिवहर का उल्लेखनीय योगदान रहा। ठाकुर नवाब सिंह समेत सैकड़ों लोगों ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी। तरियानी छपरा में भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान अंधाधुंध फायरिंग कर अंग्रेजों ने 11 लोगों की जान ले ली थी। यह जालिया वाला बाग जैसी घटना थी। शिवहर थाने पर तिरंगा फहराने के दौरान अंग्रेजों की फायरिंग में पांच लोग मारे गए थे।
समाजवाद का गढ़ रहा हैं शिवहर
आजादी के बाद शिवहर का इलाका समाजवाद का गढ़ रहा। यहां की रामदुलारी सिन्हा केरल की राज्यपाल बनाई गई। पंडित रघुनाथ झा ने लगातार 25 साल तक विधानसभा में शिवहर का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अपने बूते शिवहर को जिला बनवाया। लोग उन्हें शिवहर का निर्माता बताते है। शिवहर से राबिन हूड के नाम से चर्चित आनंद मोहन, मो. अनवारूल हक, पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री रहे हरि किशोर सिंह ने संसद में प्रतिनिधित्व किया। वर्तमान में रमा देवी तीसरी बार सांसद चुनी गई है। जबकि, पूर्व सांसद आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद विधायक है।