बिहार के पश्चिम चंपारण में एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने खुद ही बनाया था। इस मंदिर में जाने का रास्ता पेड़ के अंदर से है।
अदभुत्, आश्चर्यजनक और अविश्वसनीय। इस दो वृक्षों के बारे में जानकर आप भी चकित रह जाएंगे। लोकआस्था है कि इन दो वृक्षों के भीतर बने मंदिर में साक्षात देवाधिदेव शिव का निवास है।
इस दोनों पेड़ों की टहनियां महादेव का डमरू हैं तो शाखाएं त्रिशूल, यही नहीं टहनियों से ही भगवान् गणेश और नाग देवता भी बने हुए हैं।
पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा में हजारों साल पुराने इन दोनों वृक्षों की वास्तविक आयु किसी को भी ज्ञात नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे पहले इन दोनों वृक्षों की जड़ों से निर्मित प्रणवमंत्र ॐ के आकार के दर्शन होते हैं।

जैसे-जैसे श्रद्धालु इन दोनों जुड़े हुए वृक्षों के पास पहुंचते हैं उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं होता क्योंकि इनके भीतर ही मौजूद है शिव का अति प्राचीन मंदिर।
जी हां, वृक्ष के भीतर शिव का मंदिर।



