यदि आप भारत में हैं और प्रकृति, संस्कृति और शिक्षा से प्रेम करते हैं, तो पश्चिम बंगाल में शांतिनिकेतन एक ऐसी जगह है जहाँ आपको जाना चाहिए। नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है।
टैगोर हाउस
टैगोर हाउस शांतिनिकेतन का वो खास स्थल है जहां रवींद्रनाथ अपना ज्यादा समय बिताया करते थे। इस भवन का निर्माण टैगोर के पिता ने बंगाली शैली में कराया था। एक बड़े क्षेत्र में भवन परिसर देखने में बहुत ही आकर्षक है। इसके अंदर कई कमरे हैं जहां आप विभिन्न कलाकृतियों को देख सकते हैं। यहां आकर आप उस महान लेखक की जीवनशैली को महसूस कर सकते हैं। कला और इतिहास प्रेमियों के लिए यह एक खास जगह है।
अमर कुटीर
अमर कुटीर भी शांतिनिकेतन के खास दर्शनीय स्थलों में गिना जाता है, जहां आप पारंपरिक शैली से बनाएं गए उत्पादों को खरीद सकते हैं। रंग-बिरंगे हथकरघा उत्पादों, कपड़ों से बने साज-सज्जा के सामान क्रय कर सकते हैं। यह एक संग्रहालय भी है जहां शिल्पकलाओं को प्रदर्शित किया गया है। माना जाता है कि यह भारत स्वतंत्रता संग्राम के कई संगठनों से भी जुड़ा हुआ था। आप यहां बंगाली संस्कृति और पारंपरिक उत्पादों को देख सकते हैं। यह एक खास जगह है जहां आपको जरूर आना चाहिए।
कला भवन
कला भवन भी गिनती शांतिनिकेतन के सबसे खास भवनों में होती है, जो इस सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह विश्व भारती शिक्षा संस्थान है जिसकी स्थापना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। यहां कला क्षेत्र के विद्यार्थियों को शिक्षित किया जाता है। कला भवन दूर से ही देखने अद्भुत लगता है, प्रवेश द्वार के साथ बाहरी दीवार पर बनाई गई कलाकृतियां इसके महत्व को भली भांति चित्रित करती है। विश्व भारती का कला भवन पूरे विश्व भर में जाना जाता है। इसलिए यहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।
छातीमताला
छातीमताला भी शांतिनिकेतन के मुख्य स्थलों में गिना जाता है। यह स्थल देवेंद्रनाथ टैगोर द्वारा कला, ध्यान और अन्य गतिविधियों के लिए बनाया गया था। शांतिनिकेतन घूमने आए सैलानी यहां आना पसंद करते हैं। हरा-भरा यहां का परिवेश अपार मानसिक शांति का अनुभव कराता है। यहां आकर आप कुछ देश एकांत समय बीता सकते हैं। छातीमताला हरे-भरे पेड़ों से भरा है। टैगोर से जुड़ा यह स्थल काफी खास अनुभव कराता है।
रवींद्र भारती म्यूजियम
उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां के रवींद्र भारती म्यूजियम की सैर का प्लान बना सकते है। यह एक खास जगह है जहां रविंद्रनाथ टैगोर से जुड़ी कला-रचनाओं का बड़ा संग्रह मौजूद है। यहां आपको वो साहित्यिक रचनाओं से लेकर पांडुलिपियां भी मिलेंगी। बंगाली संस्कृति और टैगोर को रचनाओं को समझने के लिए आप यहां की यात्रा कर सकते हैं। कला-प्रेमियों के लिए इस से बढ़कर खास स्थल और कोई नहीं हो सकता। यह म्यूजियम ने कई सालों से अमुल्य सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संभालकर रखा है।
रवीन्द्र भवन संग्रहालय
रवीन्द्र भवन कवि की तस्वीरों, स्मृति चिन्ह, चित्रकारी और अन्य वस्तुओं के अलावा 40,000 पुस्तकों और 12,000 पत्रिकाओं का घर है। यह संग्रहालय शांतिनिकेतन की सबसे दिलचस्प जगहों में से एक है।
उत्तरायण कॉम्प्लेक्स
उत्तरायन कॉम्प्लेक्स शांतिनिकेतन की सबसे आकर्षक जगहों में से एक है। यहाँ की इमारतों में एक प्रार्थना हॉँल है जहाँ आगंतुक ध्यान लगाते हैं और मनन करते हैं। यहाँ एक और संग्रहालय है जो रवींद्रनाथ टैगोर के नोबेल पदक प्रदर्शन पर संग्रहीत है। परिसर में प्रत्येक इमारत को एक अलग वास्तुकला संबंधी शैली में बनाया गया है।
बल्लावपुर वन्यजीव अभयारण्य
बल्लावपुर वन्यजीव अभयारण्य सैकड़ों पक्षियों, चीतल (धब्बेदार हिरण), ब्लेकबक्स और अन्य जानवरों का घर है। सर्दियों के दिनों में, यहाँ पर आने वाले सैकड़ों प्रवासी पक्षियों के लिए यह एक वंशावली स्थान है।
शांतिनिकेतन के प्राण के रूप में सांस्कृतिक मिश्रण के अलावा, यहाँ पास में दो काली जी के मंदिर हैं जो कि बहुत ही प्रसिद्ध हैं और हजारों भक्तों को आकर्षित करते हैं।
कंकालितला
शांतिनिकेतन से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर कंकालितला मंदिर देवी काली को समर्पित है। यह प्रसिद्ध मंदिर के साथ साथ एक शांतिपूर्ण शक्तिपीठ भी है।
तारपीठ
बोलपुर से 55 किलोमीटर दूर एक और शक्तिपीठ है जिसे तारपीठ के नाम से जाना जाता है, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को यहाँ आने के लिए मजबूर करता है।
श्रीनिकेतन
विश्व भारती विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा श्रीनिकेतन है, जो आर्थिक और ग्रामीण विकास पर केंद्रित है और यह खोज के लिए एक सुंदर जगह है।
चीना भवन
कवि द्वारा 1937 में चीन के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए चीना भवन की स्थापना की गई। अब यह भवन विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
निप्पॉन भवन
निप्पॉन भवन जापानी अध्ययन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यह भारत-जापान संस्कृति का आदान-प्रदान करने में सहायक भी है।
ब्रह्मा मंदिर
ब्रह्मा मंदिर की स्थापना 1891 में हुई थी। यह एक महत्वपूर्ण ध्यान करने योग्य स्थान है।
विश्व भारती विश्वविद्यालय
नोबेल पुरस्कार विजेता विद्वान रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन के सांस्कृतिक पर्यावरण केंद्र में स्थापित है। रबींद्रनाथ टैगोर ने 1900 के प्रारंभ में, एक शैक्षिक संस्था (स्कूल-विद्यालय) की स्थापना ब्रह्मचार्य आश्रम के बाहर की थी। उन्होंने अपने नोबेल पुरस्कार की राशि और अपनी पुस्तक रॉयल्टी इस विद्यालय के विकास के लिए दे दी थी जिसके कारण इस विद्यालय को 1951 में विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था। विश्व भारती विश्वविद्यालय अब एक बहु-अनुशासनात्मक विश्वविद्यालय माना जाता है, जिसके कारण दुनिया भर के शिक्षक और छात्र इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। विश्वविद्यालय शिक्षा प्रदान करने की दिशा में अपने कट्टरपंथी दृष्टिकोण के लिए सबसे अच्छा इसलिए जाना जाता है, क्योंकि यहाँ तर्क-वितर्क, कार्यशालाएं, खुली वायु वाली कक्षाएं, और सांस्कृतिक विषयों के आदान-प्रदान पर जोर दिया जाता है। विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुछ पूर्व प्रसिद्ध छात्रों में इंदिरा गांधी, सत्यजीत रे, अर्मत्य सेन, आर शिव कुमार और सुचित्रा मित्रा शामिल हैं।
क्यों जाएं शांतिनिकेतन?
हर साल हजारों आगंतुक और छात्र शांतिनिकेतन की यात्रा करतें हैं। कोलकाता में सबसे अच्छी छुट्टियाँ बिताने वाले स्थान के अलावा, यह देश का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र भी है। इसकी प्रकृति, शांतिपूर्ण प्राचीन रख-रखाव, शैक्षिक उत्कृष्टता और कुटीर उद्योगों पर जोर देने के कारण शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। भारत के पूर्व-स्वतंत्रता के वर्षों के दौरान इस शहर ने सबसे स्वतंत्र और प्रगतिशील विचारकों के साथ टैगोर के आश्रम में काम करने के लिए, लिखने और स्वतंत्र भारत की कल्पना करने के लिए इस शहर ने एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जो लोग सैकड़ों विदेशी छात्रों को भारत के विश्व भारती और शांतिनिकेतन में आकर्षित करते हैं, वह भारत की सांस्कृतिक विरासत और कुटीर उद्योगों को निष्कलंकीय तरीके से सुरक्षित रखते हैं।
महत्वपूर्ण त्यौहार
भारतीय संस्कृति की देहाती धारणाओं को ध्यान में रखते हुए, शांतिनिकेतन में मनाए जाने वाले अधिकांश त्योहार प्रकृति से जुड़े हुए हैं। 25 बोईसाक और 22 स्राबान (बंगाली कैलेंडर की तिथियों) के अलावा, रबींद्रनाथ टैगोर के जन्म और पुण्यतिथि और अन्य महत्वपूर्ण त्यौहारों में बसंत उत्सव (होली), बरशा मंगल, शारोदोत्सव और नंदन मेला यहाँ के प्रमुख त्यौहारों में शामिल हैं।
दिसंबर के अंत में मनाया जाने वाला पूस मेला (बंगाली कैलेंडर के पूस महीने के अनुसार), इस क्षेत्र का सबसे रंगीन मेला और त्यौहारों में से एक है। प्रारंभिक वर्षों में, इस भव्य 3-दिवसीय मेले का आयोजन ब्रह्मो मंदिर में भव्य आतिशबाजी प्रदर्शन से किया जाता था। इस समय शांतिनिकेतन में कुटीर उद्योग वाले ठेलों की स्थापना की जाती है, जिससे बाहरी आगंतुक को यहाँ के बारे में शिक्षा प्राप्त करने और विभिन्न कलाकृतियों को खरीदने में मदद मिलती है।