जदयू का आरोप है कि शरद यादव पुत्रमोह में नीतीश कुमार का विरोध कर रहे हैं। वे अपने बेटे Shantanu Bundela को मधेपुरा की राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं। जदयू का कहना है कि शरद यादव मधेपुरा से अपने बेटे के लिए टिकट चाहते हैं। इस लिए वे दबाव की राजनीति कर रहे हैं।
शरद यादव अब 70 साल के हो गये हैं। वे अपनी राजनीति विरासत पुत्र को सौंपना चाहते हैं। शरद यादव के पुत्र Shantanu Bundela दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक हैं। उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल पोलिटिक्स एंड रिलेशनशिप में मास्टर डिग्री हासिल की है। शांतनु का राजनीतिक प्रशिक्षण तीन साल पहले से शुरू हो चुका है।
2014 के लोकसभा चुनाव में जब शरद यादव मधेपुरा से चुनाव लड़ रहे थे तब शांतनु भी चुनाव प्रचार में शामिल हुए थे। वे कई गांवों में गये थे और लोगों से मुलाकात की थी।
शरद यादव मधेपुरा को अपना चुनाव क्षेत्र मानते हैं। वे चार बार यहां से सांसद रह चुके हैं। लालू यादव और पप्पू यादव से हार भी चुके हैं। इसके बावजूद वे इस यादव बहुल इस क्षेत्र को अपने लिए मुनासिब मानते हैं। मधेपुरा में जमीन खरीद कर उन्होंने अपना घर भी बना लिया है। इस लिए उन्होंने अपने ऊपर से बाहरी होने ठप्पा भी हटा लिया है।
2014 में जब Shantanu मधेपुरा आये थे तभी यह सवाल पूछा जाने लगा था कि क्या शरद उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाएंगे ? तब शरद समर्थक एक नेता मे कहा था कि क्या शांतनु अपने घर भी नहीं आ सकते ? यानी मधेपुरा शांतनु का घर है। जब उनका यहां घर है तो वे देर-सबेर चुनाव भी लड़ेंगे। शरद यादव इसके लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने में जुटे हैं।
अध्यक्ष पद छीने जाने के बाद शरद यादव पहले ही नीतीश से नाखुश थे। जब उन्होंने अपने बेटे के लिए कोई आश्वासन मांगा तो नीतीश कुमार ने इससे भी इंकार कर दिया। इसके बाद शरद पूरी तरह नीतीश के विरोध में सामने आ गये। शरद यादव को भाजपा से कोई गुरेज नहीं है। वे तो एनडीए के संयोजक रहे हैं। शरद को नीतीश के विरोध के लिए कोई बहाना चाहिए था, और वो बहाना भाजपा है।
मधेपुरा लोकसभा सीट पर अभी राजद के निलंबित सांसद पप्पू यादव का कब्जा है। पप्पू यादव और लालू यादव के बीच आज जो संबंध है उसको देख कर यही कहा जा सकता है कि अब राजद यहां से नया उम्मीदवार खड़ा करेगा।
जिस तरह शरद यादव और लालू यादव एक दूसरे के समर्थन में बोल रहे हैं उससे यही लगता है कि निकट भविष्य में दोनों एक होने वाले हैं। ऐसे में शरद यादव के लिए शांतनु को मधेपुरा में लॉन्च करना आसान हो जाएगा। शरद के लालू के करीब जाने का यह भी एक कारण है।