हिंदू धर्म में अलग अलग वार का अलग अलग महत्व है. प्रत्येक वार से सम्बंधित देवी देवता और उनकी महिमा भी भिन्न है. शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना गया है. शनिदेव को सबसे शक्तिशाली और नौ ग्रहों का स्वामी माना गया है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, शनिदेव की पूजा करने से जातक पर पाप ग्रहों का प्रभाव कम होता है. इसके अलावा शनि को कर्मों का फल देने वाला बताया गया है. आइए पढ़ते हैं शनिदेव की आरती और मंत्र….
शनि भगवान की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥


जय जय श्री शनि देव….
शनि भगवान की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
वैदिक मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरभि स्रवन्तु न:।।
पौराणिक मंत्र
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम्।।

बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
सामान्य मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नम:
शनि की प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाएं और इस मंत्र का जाप करें:
ॐ नीलांजन नीभाय नम:
ॐ नीलच्छत्राय नम:.

Sources:-News18