.गर्मी के मौसम में हरी सब्जियों की बहार आ जाती है. करेला, लौकी, बीन्स, शिमला मिर्च, परवल, नेनुआ के अलावा एक और सब्जी गर्मियों में खूब मिलती है. आज हम जिस सब्जी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसका नाम कैता है. आज भी बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें इस सब्जी के बारे में पता तक नहीं है. लेकिन इसके फायदे भरपूर हैं. इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग स्थानीय नामों से जाना जाता है. गया तथा बिहार के दूसरे अन्य जिले मे इस सब्जी को कैता के नाम से जानते हैं.
गया जिले में इस सब्जी की खूब खेती की जाती है. लोग बडे चाव से इसका सब्जी या भुजिया बनाकर खाते हैं. कहा जाता है कि यह फाइबर और पानी से भरपूर होता है. पेट, लीवर, पाचन तंत्र तथा त्वचा के रोगों को कम करने में सहायक होता है. गया के मानपुर प्रखंड क्षेत्र में इसकी खेती बडे पैमाने पर होती है.यहां के किसान कैता की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहें हैं. तीन महीने तक यह सब्जी रहती है.90 दिनो में किसानो को खुब पैसा देती है. इसकी खेती मे कम लागत आती है.मुनाफा पांच गुणा से भी अधिक होता है.
10 कट्ठा में 60 हजार की आमदनी
ननौक गांव के किसान संजय कुमार 10 कट्ठा में कैता लगाए हुए हैं.तीन महीने के सीजन में उन्हें 50-60 हजार रुपए की आमदनी हो जाती है. लतेदार सब्जी होने के कारण इसके सहारा के लिए खेतो में बांस और तार लगाया जाता है. 10 कट्ठे की खेती में लगभग 10 हजार रुपये लागत आती है. यह एक ऐसी सब्जी है, जिसमें दूसरे सब्जियों के तुलना मे अधिक फलन और हर दूसरे दिन इसकी तोडाई की जाती है. कैता का डिमांड इतनाहै कि व्यापारी गांव से ही इसकी खरीदारी कर लेते है. फिलहाल मार्केट मे इस सब्जी की कीमत 20-30 रुपये प्रतिकिलो है.
कम लागत में चाहते हैं अच्छी कमाई
किसान संजय कुमार बताते हैं कि ननौक तथा आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर इस सब्जी की खेती की जाती है.इसकी खूब डिमांड है. व्यापारी गांव में ही आकर इसे खरीद कर ले जाते हैं. 3 महीने की सीजन में 10 कट्ठा से लगभग 60 हजार रुपए तक कमाई हो जाती है.इसमें अन्य सब्जियों की तुलना में अधिक फलन होती है. इन्होंने अन्य किसानों को सलाह देते हुए कहा कि इसकी खेती में कम लागत आती है और अच्छी कमाई की जा सकती है.