जब से शिक्षा विभाग की कमान केके पाठक ने संभाली है, तब से शिक्षा विभाग में लगातार नए-नए आदेश जारी किए जा रहे हैं. शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कई नियम भी लागू किए जा रहे हैं. इसका असर भी दिख रहा है. अब कम बच्चों की उपस्थिति वाले स्कूलों को चिन्हित करते हुए क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक, जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी वहां लगातार निगरानी करेंगे, ताकि उन स्कूलों में बच्चों कीउपस्थिति 50 प्रतिशत से अधिक हो सके.
अभी भी जिले में 20 प्रतिशत से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्रों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम है. कम बच्चों की उपस्थिति वाले एक-एक स्कूल में आरडीडीई, डीईओ और डीपीओ खुद से निरीक्षण करेंगे. वे नामांकित हरेक छात्र-छात्रा और उनके अभिभावकों से बात कर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे. इसके अलावा विभाग के वरीय अधिकारियों को पांच-पांच स्कूल को गोद लेने का निर्देश दिया गया है. इन स्कूलों में पदाधिकारी लगातार जाएंगे.हर एक छात्र और उनके अभिभावकों से बात करेंगे. जो छात्र 3 दिन लगातार अनुपस्थित रहेगा, उसे एचएमनोटिस देंगे. 15 दिन तक लगातार अनुपस्थित रहने पर छात्र का नामांकन रद्द किया जाएगा.
बच्चों की होगी ट्रैकिंग
जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार बताते हैं कि कम उपस्थित वाले विद्यालय में नामांकित बच्चों की ट्रैकिंग की जाएगी. इससे यह देखा जाएगा कि वह कहीं एक ही साथ दो विद्यालयों में तो नहीं पढ़ रहा है. ऐसे छात्र नाम कटने के डर से लगातार 15 दिन अनुपस्थित नहीं रहते हैं. बीच-बीच में विद्यालयों आते रहते हैं. ऐसा सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए भी किया जाता है. इस कारण से ट्रैकिंग का निर्देश दिया गया है.
\सिर्फ लाभ के लिए नामांकित बच्चों का कटेगा नाम
सिर्फ विभागीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों का नामांकन रद्द करने का निर्देश दिया गया है. इससे सरकार को राजस्व की भी बचत होगी. डीबीटी प्राप्त करने के उद्देश्य से वैसे छात्र-छात्रा जिन्होंने सरकारी विद्यालयों में दाखिला ले लिया है, जबकि वह जिले के या जिले के बाहर के निजी विद्यालयों में पढ़ाई करते हैं. वैसे बच्चों को अब चिन्हित कर उनका नामांकन रद्द किया जाएगा.