बिहार की सत्तू की पहचान अब विदेशों में भी होने लगी है। बिहार के sattu को विदेशों तक पहुंचाने वाली महिला ग्रेस ली करीब 20 साल पहले बिहार आकर बस गई थी। ग्रेस ली को बिहार का सत्तू इतना पंसद आया कि उसने अपने कोरियाई दोस्तों तक भी पहुंचाई। ग्रेस ली बिहार के sattu की चर्चा कोरिया के कुछ मित्रों से की और फिर मित्रों ने सत्तू कोरिया भेजने का आग्रह किया।
इसके बाद यह सिलसिला जो शुरू हुआ, वह आज भी जारी है। उन्होंने बताया कि पूर्व में यहां से सत्तू वह कोरिया भेजती थीं, जिसे वहां के लोगों ने खूब पसंद किया। दक्षिण कोरिया में sattu की मांग को ग्रेस पटना स्थित अपने घर से पूरा नहीं कर पा रही थीं, इसलिए उन्होंने हाजीपुर में बजाप्ता सत्तू का कारखाना लगाया।
पहले इस काम में सिर्फ मेरे पति साथ देते थे, लेकिन जब काम बढ़ गया, तब मैंने दिसंबर 2015 में पटना के पास हाजीपुर में सत्तू बनाने का कारखाना शुरू कियां। अब यह काम कोरियाई-अमेरिकी मित्र जॉन डब्लू चे और विलियम आर. कुमार के साथ मिलकर कर रही हैं।
आपको बताते चले कि ग्रेस ली पटना के एएन कॉलेज और हाजीपुर के एनआईटी महिला कॉलेज में कोरियाई भाषा पढ़ाती हैं। ग्रेस यहां वर्ष 1997 में यांज ली के साथ शादी कर हाउस वाइफ के रूप में आई थीं।
यहां आकर उन्होंने हिंदी सीखी और एएन कॉलेज से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातकोतर की डिग्री ली. इसी दौरान उन्हें सत्तू के बारे में जानकारी मिली और इसके बाद तो सत्तू को पूरी दुनिया के घरों तक पहुंचाने के लक्ष्य लेकर वह इस काम में जुड़ गई।
बिहार का सत्तू भुने हुए बादाम, जौ का बनता है। यह सत्तू प्रोटीन से भरपूर होता है। यह पचने में आसान होता है। शरीर को ठंडा रखने की अपनी खासियत की वजह से गर्मी में लोग इसे खूब खाते हैं या पानी में नमक और नींबू के साथ घोलकर पीते हैं। ग्रेस ली ने sattu बनाने के तरीके में कई परिवर्तन भी किए हैं।
वह बताती हैं, मेरे पति यांज गिल ली को 2005 में स्वास्थ्य संबंधी कुछ परेशानियां हुई थीं। अपने एक बिहारी दोस्त की सलाह पर ग्रेस ने सत्तू का सेवन किया और उसके फायदे को देख अब तो उसने सत्तू को अपने जीवन का हिस्सा ही बना लिया है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में अफ्रीका के देशों से 30 हजार यूएस डॉलर का ऑर्डर मिला है। जीबीएम नेटवर्क्स एशिया प्राइवेट लिमिटेड के तहत सभी काम हो रहे हैं। ली ने बताया, सत्तू मुख्य रूप से चना और जौ से बनाया जाता है, लेकिन मैंने इसमें चावल के साथ अन्य अनाजों का भी मिश्रण किया है। यह न केवल स्वादिस्ट है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है।
यह पूरी तरह श्न्यूट्रिशस फूडश् है. मैं पर्सनली इस फूड को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा रही हूं.। जीबीएम नेटवर्क्स एशिया के निदेशक जॉन डब्लू चे कहते हैं, हम इसको आपदा के वक्त के खाने की तरह विकसित करना चाहते हैं।
जहां कहीं भी आपदा हो, भुखमरी हो वहां तक इसे पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। चे का कहना है कि इस समय sattu कारखाने में 40-50 स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिला है, भविष्य में और लोगों को भी रोजगार मिल सकेगा।