बिहार की संस्कृति का अभिन्न अंग ये सत्तू यूँ नहीं प्रसिद्ध है। अपने खास गुणों की वजह से आज दुनिया भर में लोगों के बीच लोकप्रिय है।
वैसे बैशाख के पहले दिन मनाये जाना वाला तयोहार पूरे भारत में अलग अलग नामों से मनाया जाता है, असाम में बिहू, पंजाब में बैसाखी और बिहार में सतुआनी। चलिए आज satuaani के अवसर पर आपको सत्तू के गुणों के साथ सत्तू को खाने के विभिन्न तरीके भी बताते हैं।
गर्मियों में हेल्थ ड्रिंक के तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला चने का सत्तू कई तरीकों से सेहत के लिए फायदेमंद होता है। काले चने को भून कर उसका तैयार आटा ही चने का सत्तू है, जिसमें फाइबर्स और कार्बोहाइड्रेट्स की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है।
तो इन गर्मियों में अपनी प्यास चने के सत्तू से बुझाएं। ये हैं उसके कुछ खास फायदे…
1. पाचन सही रहता है
चने में मौजूद फाइबर्स की भरपूर मात्रा इसे पीसने के बाद बने सत्तू में भी उतनी ही मात्रा में बनी रहती है, जिसे पीना बहुत ही लाभकारी होता है। गर्म, मसालेदार और ऑयली खाना खाने से अपच की समस्या होना आम बात है। इसे चने का सत्तू पीकर आसानी से दूर किया जा सकता है। इसमें मौजूद फाइबर्स ही डाइजेशन को सही रखने में मदद करता है।