सहकारिता विभाग की सुस्ती से बिहार में सरकारी स्तर पर गेहूं खरीद रफ्तार नहीं पकड़ रही है। किसान गेहूं बेचने की राह ताक रहे हैं, लेकिन क्रय केन्द्रों पर उनसे खरीदारी नहीं हो रही है। इसका फायदा बिचौलिया उठा रहे है। किसानों से कम कीमत में खरीद कर अधिक मुनाफा पर दूसरे प्रदेश और विदेश में गेहूं भेज रहे हैं। मुजफ्फरपुर से रोजाना 20 से 30 गेहूं लदा ट्रक दूसरे राज्यों के साथ बांग्लादेश भी ले जाया जा रहा है। गुरुवार को बाजार समिति सहित अन्य जगहों से गेहूं लदी करीब 15 से अधिक गाड़ियां गुजरात उड़ीसा, असम, सिलीगुड़ी के लिए निकलीं। गेहूं खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल है। लेकिन बिचौलिया किसानों से सरकारी मूल्य की तुलना में दो सौ से ढाई सौ रुपये कम में गेहूं खरीद रहे है।
सहकारिता विभाग गेहूं खरीद करने के लिए तत्पर नहीं है। गेहूं खरीद शुरू हुए आठ दिन बीत चुके है। लेकिन अब तक महज चार किसानों से ही खरीद हुई है। जिले में गेहूं खरीद के लिए 178 समितियों को चयनित किया गया है। इसमें 172 पैक्स व छह व्यापार मंडल है। जिनसे गेहूं खरीद की गई है इसमें कुढ़नी के तीन व गायघाट के एक किसान शामिल हैं। चारों किसानों से अब तक 115 क्विंटल खरीदी गई है।
आंकड़ों में स्थिति
● न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये
● खरीद का लक्ष्य 48 हजार एमटी
● चयनित पैक्स 172
● व्यापार मंडल 06
बोरा की कीमत और क्वींटल पर 6 किलो ज्यादा अनाज की मांग
कांटी सदातपुर निवासी किसान राहुल कुमार ने बताया कि उन्होंने 10 एकड़ में गेहूं की खेती की थी। उपज भी बढ़िया हुई है लेकिन पैक्स में खरीदारी नहीं हो रही है। मजबूरन 18 सौ रुपये क्विंटल की दर से बेचना पड़ा। क्विंटल में छह किलो अधिक गेहूं देने की मांग होती है। इसके अलावा बोरा भी मांगा जाता है।
पैक्स नहीं दिखा रहे दिलचस्पी
किसान राधा मोहन प्रसाद ने बताया कि खेती काफी महंगी हो गई है। खाद-बीज के दाम में काफी वृद्धि हुई है। इस बीच गेहूं की अच्छी कीमत नहीं मिलने पर वे निराश है। कुछ दिन इंतजार करने के बाद वे व्यापारी से गेहूं बेच देंगे। सरकारी स्तर पर खरीद नहीं हो पा रही है। मजबूरन 18 सौ रुपये प्रति क्विंटल से नीचे की दर से गेहूं बेचना पड़ रहा है।
पदाधिकारी दे रहे हास्यास्पद जवाब
जिला सहकारिता पदाधिकारी विरेन्द्र कुमार शर्मा मानते हैं कि सरकारी केन्द्रों पर गेहूं की खरीद नहीं हो रही है। हालांकि इसकी जो वजह उन्होंने बताई वह हास्यास्पद है। उनका कहना है कि बाजार दर अधिक होने की वजह से किसान केन्द्र पर आने को इच्छुक नहीं दिख रहे हैं। अगर किसी किसान को गेहूं बेचनी है तो वे समिति में जायें या फिर उनके कार्यालय में संपर्क करें। उनसे गेहूं खरीदी जाएगी। गेहूं क्रय की मॉनिटरिंग की जा रही है।
मुजफ्फरपुर कॉपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष किसान वीरेन्द्र राय ने कहा कि पैक्सों में गेहूं बेचने पर रजिस्ट्रेशन कराने से लेकर कई तरह की परेशानी होती है। लेकिन बिचौलियों से बेचने पर कोई परेशानी नहीं होती है। इसलिए किसान बिचौलियों से ही गेहूं बेच दे रहे हैं।
10 साल से गुजरात और बांग्लादेश भेज रहे गेहूं
बोचहां सर्फुद्दीनपुर निवासी व्यापारी सिद्धार्थ कुमार ने बताया कि वे पिछले 10 साल से गेहूं सहित अन्य अनाज की खरीद बिक्री करते हैं। प्रति क्विंटल 50 रुपये मुनाफा रखते हैं। परिवहन का प्रति क्विंटल दो सौ रुपये तय कर इसे सिलीगुड़ी से फुलवारी बॉर्डर के रास्ते बांग्लादेश भेज देते है। वहां के व्यापारी आकर गेहूं की खेप 23 सौ रुपये प्रति क्विंटल ले जाते हैं। इसके अलावा गुजरात के गांधीधाम में भी गेहूं भेज रहे हैं। यहां पर परिवहन शुल्क लेकर 2450 रुपये आता है। यहां की गेहूं से सूजी, चोकर, मैदा आदि बनाया जाता है। गुजरात और बांग्लादेश में फ्लोर मिल काफी हैं जिससे वहां पर गेहूं की मांग अधिक है। मुजफ्फरपुर से प्रतिदिन चार से पांच गेहूं लदी गाड़ियों की डिमांड बांग्लादेश से आ रही है।