खेती-किसानी को अक्सर लोग घाटे का प्रोफेशन मानते हैं. हालांकि इस भ्रम को प्रगतिशील किसानों ने कई बार दूर करके भी दिखाया है. बेगूसराय के सांख पंचायत के रहने वाले प्रगतिशील किसान प्रभु शर्मा पारंपरिक खेती करने वाले किसानों की अपेक्षा 10 गुना से भी अधिक पपीता और हरी सब्जी की खेती कर कमाई कर रहे हैं. इन दिनों प्रभु की पहचान बेगूसराय जिला में ऐसे प्रगतिशील किसान के रुप में हो रही है. हालांकि इस बात का जरूर मलाल है कि उन्हें बागवानी योजना का लाभ नहीं मिला. लेकिन हार नहीं मानी और बिना किसी से मदद लिए खेती करना शुरू कर दिया. उनकी कमाई की बात की जाए तो एक बीघा खेत को दो भागों में बांटकर दो लाख से अधिक का मुनाफा कमा रहे हैं.
बेगूसराय जिला मुख्यालय से तकरीबन 5 किलोमीटर दूर सदर प्रखंड के सांख गांव में रहने वाले 56 वर्षीय किसान प्रभु शर्मा गांव में अपने पड़ोसियों को पपीता और सब्जी की बागवानी कर अच्छी कमाई होते देख सब्जी और पपीता की बागवानी करने का निर्णय लिया. पिछले 5 वर्षो से हरी सब्जी और पपीता की बागवानी कर रहे हैं. प्रभु शर्मा ने ने बताया कि 10 कट्टे में पपीता और 10 कट्टे में कद्दू, भिंडी, झींगा, बैगन जैसे हरी सब्ज़ी की खेती कर रहे हैं. नुकसान की चर्चा करते हुए बताया कि फलों और सब्ज़ी की खेती में रिस्क लेना पड़ता है, क्योंकि इसमें मुरसुखा, सफेद मकड़ी या लाल मकड़ी का रोग सबसे ज्यादा लगता है. वहीं इन रोगों से फ़सल को बचाने के लिए डीएपी और पोटास के साथ कुछ केमिकल का भी उपयोग कर रहे हैं.
फल और सब्जी से सालाना दो से अधिक की कर लेते हैं कमाई
56 वर्षीय किसान प्रभु शर्मा ने बताया एक बीघा फल और सब्जी की खेती में बीज खरीदने से लेकर फल आने तक में 40 हज़ार खर्च आ जाता है. वहीं जिला के बाजारों में सालाना पपीता बेचकर 1.50 लाख कमाई हो जाती है. यदि फसल बेहतर रहा तो कमाई का आंकड़ा 1.80 लाख तक पहुंच जाता है. वही हरी सब्जी को लगाने के दो महीने बाद 30 से 40 हज़ार तक की कमाई हो जाती है. किसान प्रभु शर्मा केला के साथ हरी सब्जी की खेती कर सालाना दो लाख से अधिक की कमाई कर लेते हैं. आपको बता दें कि जिला उद्यान विभाग के द्वारा पपीता की बागवानी पर 75 फीसदी सब्सिडी दी जाती है, लेकिन इसका लाभ जिला के प्रगतिशील किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है. लाभ लेने के लिए कार्यालय का चक्कर लगाकर थक जाने के बाद किसान इसका आस छोड़ देते हैं. ऐसे में विभागीय स्तर पर सरल प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है ताकि किसानों को समय पर लाभ मिल सके.